(www.arya-tv.com) कैंडिडेट्स को देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस तक पहुंचने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसकी पूरी ज़िम्मेदारी यूपीएससी यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के कंधों पर होती है कि वे सही कैंडिडेट्स का चुनाव करें. कई चरण की परीक्षाएं पास होने के बाद चयन होता है और एक बार सर्विस ज्वॉइन कर लेने के बाद इन्हें पद से हटाना आसान नहीं होता.
यूपीएससी नहीं ले सकती फैसला
आईएएस को आईएएस के पद तक पहुंचाने का काम यूपीएससी करती है लेकिन उन्हें पद से हटाने या सस्पेंड करने में इनकी कोई भी भूमिका नहीं होती. इतना ही नहीं एक आईएएस ऑफिसर को उस राज्य की सरकार भी सस्पेंड नहीं कर सकती. फिर ये अधिकार किसके पास होता है, यहां जानें.
क्यों हो सकते हैं सस्पेंड
एक आईएएस ऑफिसर को कुछ खास परिस्थितियों में सस्पेंड किया जा सकता है. जैसे कोई क्राइम करने पर या भारतीय संविधान के अंडर आने वाले किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर. ये अधिकार केवल और केवल देश के राष्ट्रपति के पास होता है. उनके आदेश पर ही किसी आईएएस ऑफिसर यानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को पद से हटाया जा सकता है.
इस अनुच्छेद में मिलता है इसका उल्लेख
आईएएस पद से किसी कैंडिडेट को कब और कैसे हटाया जा सकता है इसकी पुरी जानकारी अनुच्छेद 311 (2) में मिलती है. इसमें दी जानकारी के मुताबिक अगर किसी ऑफिसर को किसी क्राइम में दोषी ठहराया जाता है तो उसकी रैंक कम की जा सकती है और केस की गंभीरता को देखते हुए उसे नौकरी से भी निकाला जा सकता है. इसमें वर्णित नियमों के मुताबिक संघ में एक सिवल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से काम करता है और केवल उनके आदेश पर ही उसे पद से हटाया जा सकता है. यूपीएससी की इसमें कोई भूमिका नहीं होती.
कौन कर सकता है सस्पेंड
जहां एक IAS को पद से हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है, वहीं उसे निलंबित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास भी होत है लेकिन इसका इस्तेमाल खास स्थितियों में ही किया जा सकता है. अगर किसी आईएएस को सस्पेंड करते हैं तो इसकी जानकारी कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को देनी होती है और 30 दिन से अधिक निलंबन जारी रखने के लिए केंद्र सरकार से परमिशन लेनी होती है.
पूजा खेडकर का मामला
फर्जी दस्तावेज लगाकर और दिव्यांग कोटे का इस्तेमाल करके पद पाने के मामले में फंसी पूजा खेडकर को खिलाफ यूपीएससी ने एफआईआर दर्ज की है. लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने उनका ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया है. इस मामले में अंतिम फैसला देश की राष्ट्रपति ही लेंगी.