BHU के पूर्व कुलपति, रजिस्ट्रार, डीन पर जालसाजी के आरोप:कोर्ट ने भेजी नोटिस

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(www.arya-tv.com)  काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, पूर्व रजिस्ट्रार, पूर्व डीन सहित 8 प्रोफेसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कूटरचना, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप लगे हैं। इनमें से पूर्व वीसी और रजिस्ट्रार तो बच निकले, लेकिन 8 अधिकारियों और प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। कोर्ट ने अब इन्हें नोटिस भी भेजी है।

BHU के ही एक एसोसिएट प्रोफेसर ने इन सभी लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा, “हमारी नियुक्ति की जांच करने के लिए फर्जी तरीके से कमेटी बैठाई गई। जब RTI के तहत सूचना मांगी गई, तो पता चला कि कुलपति समेत पूरी टीम ने बैक डेट के लेटर पर साइन करके उनके खिलाफ आरोप दाखिल कर जांच कमेटी का गठन किया था। मामला BHU स्थित पत्रकारिता विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा का है। डॉ. मिश्रा ने बताया, “हमारी नौकरी को खत्म करने के प्रयास से हमें कई साल तक प्रताड़ित किया गया।”

22 सितंबर, 2017 में BHU की छात्रा से छेड़छाड़ के मामले के खिलाफ विश्वविद्यालय में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। बहुत दिन बवाल के बाद भारत सरकार ने कुलपति प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी को कार्यकाल खत्म होने से पहले ही एक महीने की छुट्टी दे दी। कार्यकाल 27 नवंबर को पूरा होना था, लेकिन उन्हें छुट्टी सितंबर के अंत में ही दे दी गई। प्रोफेसर त्रिपाठी ने सितंबर के अंत में बनारस छोड़ दिया। इसी समय पूर्व डीन प्रोफेसर कुमार पंकज ने लाइब्रेरी साइंस के डॉ. आदित्य त्रिपाठी के रिसर्च स्कॉलर द्वारा दिए गए एक पत्र को आधार बनाते हुए डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा की नियुक्ति के खिलाफ रजिस्ट्रार ऑफिस को लेटर भेजा।

अचानक से कुलपति की छुट्टी हुई, इसलिए पीछे की डेट पर हुई कार्रवाई
कुलपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले उनके छुट्टी का ऑर्डर अचानक से आ गया था। इस वजह से डॉ. मिश्रा के लेटर पर कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हो सकती थी। इसलिए, उस लेटर पर डेट 41 दिन पुरानी यानी की 25 सितंबर, 2017 की डाली गई। यह लेटर रजिस्ट्रार ऑफिस गया। दाखिल दफ्तर हुआ और उसके बाद कुलपति प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी भी उस पर 25 सितंबर की डेट से साइन कर देते हैं। कुलसचिव कार्यालय से 27 सितंबर के डेट से नोटिफिकेशन जारी कर दी जाती है।

अक्टूबर या 5 नवंबर के पहले लिखी गई होगी चिट्ठी
डॉ. ज्ञान प्रकाश ने कहा, “चिट्ठी संभवत: अक्टूबर या 5 नवंबर के पहले लिखी गई होगी। यह इसलिए, क्योंकि उन्होंने RTI करके 25 सितंबर, 2017 तक BHU के प्रोफेसरों के खिलाफ कुलपति द्वारा गठित जांच कमेटियों की जानकारियां मांगी। RTI के जवाब में डॉ. ज्ञान प्रकाश का नाम नहीं था। 25 सितंबर को कला संकाय के नोट बुक की जांच कराई, तो वहां से कुछ अहम सुराग मिले। देखा कि लेटर संख्या 215 और 216 एक ही हॉस्टल राजाराम से जुड़े थे, मगर उनके लेटर का नंबर 215 A था। अर्थात उसे बीच में ही जबरदस्ती घुसाया गया। इन सब सबूतों के साथ डॉ. मिश्रा ने 2019 में इन सभी के खिलाफ जांच की मांग की।