काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस:जफरयाब जिलानी बोले- दखल नहीं देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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(www.arya-tv.com)काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दखल देने से इंकार किया है। बोर्ड के कार्यकारी सदस्य और बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि अभी AIMPLB मामले को देख रहा है। उन्होंने कहा अभी ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी सही फैसले ले रही है। जरूरत पड़ने पर हम दखल देंगे। AIMIM के अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया के जरिए कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से मामले में दखल करने की गुहार भी लगाई है।

अभी हम दखल नहीं देंगे, जब मदद मांगी जाएगी तो मदद करेंगे
जफरयाब जिलानी ने कहा कि वाराणसी की लोवर कोर्ट का फैसला गलत और गैरकानूनी है। अभी इस मामले का फैसला हाईकोर्ट में रिजर्व है। बहस पूरी हो चुकी है। ऐसे में सवाल है कि क्या इस मामले में फिर लोवर कोर्ट कोई फैसला सुना सकता है? सवाल यह भी है कि 1991 में एक एक्ट आया था, जिसमें कहा गया था कि 1947 के बाद से जिस किसी भी इबादतगाह में इबादत हो रही है उसे बदलने के लिए उससे जुड़े मामला किसी अदालत में नहीं चल सकता।

देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बिगाड़ने की कोशिश
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ऐशबाग ईदगाह और ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि वाराणसी की लोवर कोर्ट का यह फैसला अफसोसजनक है। मस्जिद बहुत पहले से बनी हुई है। मंदिर मस्जिद एक साथ बनी है। इससे हमारे मुल्क की गंगा जमुनी-तहजीब की तस्वीर दिखाती है। हमें अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसी निशानियां बचा कर रखना चाहिए। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी गंगा जमुनी तहजीब के बारे में जान सके।

खालिद ने कहा कि मंदिर और मस्जिद दोनों पक्ष मामले को उलझाने की बजाय बैठ कर मामला हल कर लें कि मस्जिद भी रहे और मंदिर भी रहे। ऐसा न हो कि एक बार फिर देश का माहौल खराब हो। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली कहते हैं कि इन सबके पीछे जो सियासी मंसूबे हैं। वह सभी लोग समझ रहे हैं। रही बात AIMPLB की तो हम अभी वेट एन्ड वाच की स्थिति में है। हम लोगों की मंशा है कि मैटर लोकल लेवल पर ही हल हो जाए।

कोर्ट के फैसले पर भड़के ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए। इसके अलावा ASI को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इनसे निष्पक्षता की उम्मीद बेमानी है। यह लोग हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए मिडवाइफ का काम कर रहे हैं। उन्होंने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से भी गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द मामले में दखल दें।

‘बाबरी मस्जिद जैसा मुद्दा बनाने की कोशिश’
बरेलवी मसलक के आलाहजरत दरगाह के प्रचारक और ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि यह गलत है कि आलमगीर औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनवाई। उन्होंने 1669 के वक्फनामा का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने हजारों मंदिरों के रखरखाव के लिए जमीन दी थी। रजवी ने आगे कहा कि इस जगह पर अनन्त काल से मस्जिद बनी हुई है। इसके अलावा एक जगह दो ज्योतिलिंग कैसे हो सकतें हैं। मौलाना ने आगे कहा कि चंद फिरकापरस्त ताकतें भारत की गंगा, जमुनी तहजीब और हिंदू मुस्लिम इत्तेहाद को तोड़ने में लगी हुई है। इससे देश के लोगों को होशियार रहने की जरूरत है। ज्ञानवापी मस्जिद को बाबरी मस्जिद की तरह राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है।