यूपी में कल से खुलेंगे 1.59 लाख स्कूल लेकिन:स्कूलों में न इंटरनेट कनेक्टिविटी न बच्चों के पास मोबाइल फोन

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(www.arya-tv.com)सरकार भले ही तमाम माध्यमों से बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का राग अलाप रही हो, मगर हकीकत ठीक उलट है। करीब डेढ़ साल से अधिक समय से स्कूल का मुंह न देख पाने वाले बच्चे लिखना तक भूल गए हैं। अब जब पहली जुलाई से शिक्षकों के लिए स्कूल खोलने की मंजूरी दी गई है तो भी यह बच्चों के लिए मददगार नहीं है।

स्कूल खोलने के बहाने शिक्षकों को अन्य कामों में लगाया जा रहा है, बच्चों की प्राथमिकता सूची में नज़र नही आ रही है। वजह यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले महज 5 फीसदी बच्चों/ अभिभावकों के पास स्मार्टफोन है। ऐसे में 95 फीसदी बच्चे आखिर कैसे पढेंगे? सरकार ने न टीचर्स को न ही स्टूडेंट्स को कोई डाटा या डिवाइस दिया है?

बेसिक एजुकेशन के एडिशनल डायरेक्टर पीएन सिंह कहते हैं कि पहली जुलाई से शिक्षकों को समय पर स्कूल पर पहुंचने के लिए कहा गया है। एमडीएम समेत अन्य प्रशासनिक कार्यों, बच्चों के पठन-पाठन के संबंध में कार्य योजना आदि तैयार करने के लिए कहा गया है। शिक्षकों को स्कूल परिसर में कोविड-19 प्रोटोकॉल को पूरा ध्यान रखकर कामकाज करना होगा।

प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार का तर्क है कि 20 मई से ही बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बच्चो को अपने निजी रिसोर्स से ऑनलाइन माध्यम से पढ़ा रहे हैं।अब स्कूल परिसर में जाकर भी पाठन कार्य जारी रहेगा।शिक्षकों के प्रयास में कमी नही है,पर ऑनलाइन पढ़ाने के लिए न ही उन्हें टेबलेट या मोबाइल अथवा लैपटॉप मुहैया नहीं हुआ है और न ही इंटरनेट के लिए कोई डिवाइस।

शिक्षकों पर थोपे गए हैं ये काम –

  • मिशन प्रेरणा पोर्टल पर डाटा फीडिंग का काम,
  • नवनिर्वाचित प्रधानों से समन्वय बनाकर कायाकल्प मिशन कायाकल्प को गति देने काम
  • एमडीएम यानी मिड-डे-मील के तहत खाते में फण्ड ट्रांसफर सुनिश्चित करना ,
  • राशन सार्वजनिक वितरण केंद्र पर खाद्यान्न वितरण,
  • विद्यालय परिसर का दुरुस्तीकरण की साफ-सफाई व बेहतर रख-रखाव,
  • टाइम एंड मोशन स्टडी के अनुसार नए पंजीकरण कराने पर जोर,
  • विद्यालय परिसर के विभिन्न अभिलेखों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी,
  • 4 जुलाई को होने वाली वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम की तैयारी
  • ई-पाठशाला पर भी विद्यालय परिसर से ही नज़र रखनी होगी

तीसरी लहर के खतरे से स्कूल जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे शिक्षक

इधर सरकार ने 1 जुलाई से शिक्षकों के लिए स्कूल खोलने के आदेश जारी तो कर दिए, मगर तीसरी लहर को लेकर हो रही चर्चाओं से शिक्षको में दहशत का माहौल है। शिक्षकों का कहना है कि बिना बच्चों के स्कूल में शिक्षकों का क्या काम? हम शिक्षक हैं, बाबू नहीं।

लखनऊ मंडल में 19 हजार से ज्यादा स्कूल

प्राइमरी स्कूल – 13910,

पूर्व माध्यमिक स्कूल – 5287,

कुल परिषदीय स्कूल (बेसिक शिक्षा विभाग) – 19147