चंद्रशेखर आजाद को टक्कर देने की तैयारी में जुटी बसपा, मायावती ने बनाई ये रणनीति

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी ने यूपी में 9 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है. पार्टी ने इस चुनाव में मजबूती से उतरने की तैयारी की है. सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. चंद्रशेखर आजाद के उपचुनाव लड़ने के एलान के बाद बसपा की चुनौती और बढ़ गई है.  मायावती ऐसे उम्मीदवारों की तलाश में जुटी है जो मजबूत दावेदारी ठोक सके, इसकी जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों को दी गई.

सूत्रों के मुताबिक ज़िलाध्यक्ष अपनी क्षेत्र में सबसे मजबूत दावेदार की तलाश कर रिपोर्ट सीधे बसपा सुप्रीमो मायावती को देंगे. जिसके बाद हाईकमान के द्वारा इन नामों पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी. पार्टी ने उपचुनाव से वरिष्ठ पदाधिकारियों को दूर रखने का फैसला किया है. मायावती खुद सारी रणनीति बनाने में जुटी हुई है.

चंद्रशेखर आजाद बने चुनौती

लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के लिए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं. नगीना सीट पर उन्होंने जिस तरह से एनडीए और इंडिया गठबंधन को पटकनी दी और बसपा के दलित वोटबैंक में भी सेंधमारी करने में कामयाब रहे उससे बसपा को सबसे बड़ा झटका लगा है. ऐसे में उपचुनाव में उतरना बसपा के लिए इस बार मजबूरी भी बन गया है.

चंद्रशेखर आजाद ने भी इस बार उपचुनाव की लड़ने का एलान किया है. उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी हर बूथ को मजबूत करने में जुटी है. ऐसे में अगर बसपा उपचुनाव नहीं लड़ती तो दलित वोटर्स मायावती से छिटककर चंद्रशेखर की ओर रुख कर सकता है. ऐसे में अपने वोट बैंक को बचाकर रखने की चुनौती भी मायावती के सामने हैं. इसके साथ ही विधानसभा में पार्टी की ताकत को बढ़ाना भी जरूरी हो गया है.

आकाश आनंद को लेकर भी चर्चा तेज़
इन तमाम सियासी समीकरणों के बीच उनके भतीजे आकाश आनंद को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं. उन्होंने बहुत कम समय में युवाओं पर अच्छी पकड़ बनाई थी. लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच में ही मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताकर सभी पदों से हटा दिया. पार्टी कार्यकर्ता एक बार फिर आकाश आनंद को आगे लाना चाहते हैं. हालांकि उनकी वापसी पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

 दरअसल यूपी विधानसभा में बसपा से सिर्फ एक उमाशंकर सिंह ही विधायक हैं. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बसपा औंधे मुंह गिरी और वोट प्रतिशत में भी कमी आई है. बसपा का यूपी विधानसभा में सिर्फ एक और विधानपरिषद, लोकसभा और राज्यसभा में कोई सदस्य नहीं है.