संसदीय सत्र में सामाजिक मुद्दों को लेकर पक्ष विपक्ष होंगे एक

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AryaTv{soni singh}

बुधवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन इसके शुरू होने से दो दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के एक ट्वीट से हलचलें शुरू हो गई हैं

मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा. 2019 के आम चुनावों से पहले इस सत्र को काफ़ी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसी सत्र से सत्तारुढ़ दल की आगे की चुनावी रूपरेखा तय होगी

महिला आरक्षण विधेयक का मुद्दा छेड़कर कांग्रेस ने ज़रूर आगामी सत्र को लेकर अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है.

सोमवार को मॉनसून सत्र को लेकर कांग्रेस की बैठक हुई और उसने तय किया है कि पार्टी महिला आरक्षण के अलावा अल्पसंख्यकों, किसानों, दलितों का मुद्दा उठाएगी.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “कांग्रेस का पहला मुद्दा विधायिका में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण दिलाने का होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों में महिलाओं से वादा किया था कि वह इसे लागू करेंगे. इतना भारी बहुमत मिलने के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो राहुल गांधी जी ने चिट्ठी लिखी और पहले सोनिया गांधी जी ने भी चिट्ठी लिखी थी जिसका जवाब आज तक नहीं आया है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय बढ़ने का दावा करते हैं लेकिन कांग्रेस इस सत्र में किसानों का मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाएगी.

प्रियंका ने कहा, “मोदी सरकार कह रही है कि उसने न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 फ़ीसदी बढ़ा दिया है लेकिन व्यापक लागत को जोड़ा जाए तो वह 10-12 फ़ीसदी ही है. इस तरह से किसानों के साथ धोखा हुआ है. एससी-एसटी एक्ट को जिस तरह से बदलने की कोशिश की गई, उसका मुद्दा भी हम उठाएंगे.”

महिला आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी ने कहा है कि राहुल गांधी इसके अलावा और भी बहुत से मुद्दों पर उन्हें समर्थन दे सकते हैं.

बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “अगर समर्थन के लिए इतने उत्साहित हैं तो और दूसरे कामों को लेकर भी समर्थन कर सकते हैं.”

बजट सत्र के न चल पाने को लेकर बीजेपी साफ़तौर पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को ज़िम्मेदार ठहराती है. पिछली बार सदन नहीं चल पाने के कारण इस बार लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सांसदों को पत्र लिखकर सबसे अपील की है कि 16वीं लोकसभा के अंतिम वर्ष में अधिक से अधिक काम करें और राजनीतिक लड़ाई सदन के बाहर लड़ें.

इस बार का सत्र कैसा रहने वाला है, इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामसेशन कहती हैं कि यह मॉनसून सत्र बहुत दिनों तक या बहुत आराम से नहीं चलने वाला है.

रामसेशन कहती हैं, “यह काफ़ी छोटा सत्र है और सरकार कौन-से विधेयक पारित कर पाएगी इस पर संशय है. बीजेपी कहती रही है कि महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देने के वह पक्ष में है और वह कहती है कि उसने पार्टी में यह किया भी है. हालांकि, उसने नहीं किया है.”

“महिला आरक्षण विधेयक पुरुष सांसद नहीं चाहते हैं और इसके साथ कई पेंच भी है इसके अलावा समाजवादी पार्टी, जेडीयू और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां इसके ख़िलाफ़ रही हैं. इन परिस्थितियों में नहीं लगता है कि यह पारित होगा.”

केंद्र सरकार ने इस सत्र में तकरीबन 18 महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किए हैं जिनमें उसका सबसे अधिक ज़ोर तीन तलाक़ बिल पर है. हाल ही में आज़मगढ़ में चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक़ पर कांग्रेस को घेरा था.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी तीन तलाक़ बिल को पारित करने को लेकर कहती हैं कि तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया था लेकिन उस पर कोई नीति लाने की जगह मोदी सरकार सिर्फ़ राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगी है.