- टैलेंट सर्च एग्जिबिशन ने बच्चों के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया

लखनऊ के वृंदावन क्षेत्र में 7 से 18 साल की उम्र के बच्चों की प्रतिभा को पहचानने के लिए टैलेंट सर्च एग्जिबिशन नामक संस्था द्वारा जिसके संयोजक शुभम आचार्य हैं एक प्रदर्शनी आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न स्कूलों के 94 बच्चों ने हिस्सा लिया और अपने रचनाशील मॉडल प्रस्तुत किए।
रामा राव (14) को उनके प्रदूषण से लड़ने हेतु मॉडल के लिए वर्ष का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रूप में चुना गया, आख्या गुप्ता (13) को उनके हाइड्रोलिक पुल के लिए प्रथम पुरस्कार मिला, शौर्य बाजपेयी (14) को उनके श्वसन तंत्र मॉडल के लिए दूसरा पुरस्कार मिला और अभ्युध शुक्ला (14) को उनके सर्कुलेटरी तंत्र मॉडल के लिए तीसरा पुरस्कार मिला।
ग्रुप ए से राधिका मिश्रा (12) को उनके एयर पोल्यूशन पूरिफिएर के लिए प्रथम पुरस्कार मिला, विवान गुप्ता (8) को वाटर साइकिल मॉडल के लिए दूसरा पुरस्कार मिला और भाग्यश्री पांडे (11) को उनके चंद्रयान 3 मॉडल के लिए तीसरा पुरस्कार मिला।
साथ ही लक्ष्य का ड्रोन, अंश का सोलर पैनल, नंदिनी की ह्यूमन ऑय, आरुष का मैकेनिकल हैंड, पियूष का आटोमेटिक वाटर टैंकर, कार्तिकेय का सोलर पैनल, नंदिनी की फाइटर जेट, प्रभंश का एयर पूरिफिएर, शौर्य का स्मार्ट पार्किंग, आयुष का वोल्केनो मॉडल, इत्यादि शामिल थे।
शुभम आचार्य ने बताया कि वे हर वर्ष प्रतिभा खोज प्रदर्शनी का आयोजन करते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों द्वारा किए गए वैज्ञानिक और कलात्मक नवाचारों को प्रस्तुत करना, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना, छात्रों में वैज्ञानिक स्वभाव और अभिरुचि पैदा करना और विचारों को एकत्रित कर स्पष्ट व्याख्या के साथ दर्शकों के सामने प्रस्तुत करना है। उनकी पिछली पाँच प्रदर्शनियां कोलकाता और लखनऊ में सफलतापूर्वक आयोजित की गई थीं, जहां उन्होंने कुछ अद्भुत शिल्प और नवाचार देखे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष छठवाँ प्रदर्शनी 28 दिसंबर 2025 को वृंदावन योजना, लखनऊ में हुई, जहां उन्होंने कुशल शिल्प के साथ-साथ कई और नवाचार देखे।
मुख्य अतिथि के रूप में रुशील आईसीएस अकादमी के मेंटर डॉ. राजेश कुमार तिवारी कार्यक्रम में हिस्सा लेकर बच्चों को प्रोत्साहित किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रितेश शर्मा, ए.के. सिंह, लकी पाल, पूर्णिमा मिश्रा, रुशील तिवारी, टाइगर सिंह, सौविक आचार्य, देबप्रिया साहा, निवेश सिंह, प्रीतम कर्मकार, अंकिता नंदी, अर्नब बनिक, सात्यकी दास का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
