4 साल का बीटेक कोर्स,हर साल लेना पड़ता है एफिलिएशन, सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

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(www.arya-tv.com)एशिया की सबसे बड़ी टेक्निकल यूनिवर्सिटी यानी AKTU फिलहाल स्टूडेंट्स के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब हैं।यहां दाखिले के लिए अगस्त के दूसरे सप्ताह में शुरू होने वाली काउंसिलिंग सितंबर का पहला सप्ताह बीत जाने के बाद भी शुरू नही हो पाई।

AKTU से 749 कॉलेजों को तय समय में संबद्धता न देने के कारण ये हालात बने हैं। हालांकि अब यूनिवर्सिटी सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। पहली बार राहत न मिलने के कारण दोबारा से SLP दाखिल की जा चुकी हैं। जिस पर आज सुनवाई होनी हैं।

31 जुलाई तक पूरा करनी थी संबद्धता प्रक्रिया

दरअसल यूनिवर्सिटी को सभी प्रक्रिया पूरी करके संस्थानों को संबद्धता देने का काम हर हाल में 31 जुलाई तक पूरा करना था। पर तत्कालीन रजिस्ट्रार रहे जीपी सिंह ने शासन को संबद्धता की फाइल ही जुलाई के अंतिम सप्ताह में भेजी। जिसके चलते समय से प्रक्रिया पूरी नही हो सकी। नतीजा अब तक काउंसिलिंग की शुरुआत नही हुई।

4 महीने पद पर रहे, नही लिया समय से एक्शन

दरअसल 27 मार्च को राजभवन ने AKTU के रजिस्ट्रार सचिन सिंह को उनके पद से हटाकर जांच के आदेश दे दिए गए। उनके हटने के बाद रजिस्ट्रार का चार्ज फाइनेंस अफसर रहे जीपी सिंह के पास आ गया। जीपी सिंह करीब 4 महीने तक इस पद पर रहे। वो 4 महीने नए सत्र के लिहाज से इसलिए बेहद अहम थे क्योंकि इस दौरान ही संबद्धता प्रक्रिया पूरी की जाती हैं। पर समय से पूरी कार्रवाई नही की गई। जिसके चलते 31 जुलाई की डेड लाइन निकल गई। अब संबद्घता विस्तार नही हुआ तो फिर नए दाखिले कैसे संभव हैं? यही कारण हैं कि काउंसिलिंग नही शुरू हो सकी।

पर सबसे पहले जान ले कि किस कारण से अब तक AKTU में काउंसिलिंग नही शुरू हुई..

हर साल करनी होती हैं ये प्रक्रिया

AKTU यानी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से 749 कॉलेज या शिक्षण संस्थान संबद्ध हैं। हर साल इन कॉलेजों को एफिलिएशन के लिए अप्लाई करना होता हैं। AKTU इन संस्थानों को संबद्धता देकर सीट की संख्या भी तय करता हैं। उसी के आधार पर काउंसिलिंग और दाखिले होते हैं। इसके लिए साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देकर 31 जुलाई की तारीख निर्धारित कर दी थी। समय रहते ये कार्रवाई पूरी नही की गई। जिसका खामियाजा अब छात्रों को भुगतना पड़ रहा हैं। करीब डेढ़ लाख स्टूडेंट्स दाखिले को लेकर अधर में हैं।

बड़ा सवाल आखिर क्यों हर साल एफिलिएशन की फॉर्मेलिटी?

4 साल का बीटेक कोर्स होता हैं। पर संबद्धता की प्रक्रिया हर साल पूरी करनी होती हैं। जानकार इसके पीछे भी बड़ा खेल बताते हैं। हालांकि कई बार लंबे समय के लिए संबद्धता देने पर विचार हुआ। कहा गया कि कम से कम 4 साल से 10 साल तक की संबद्धता दी जानी चाहिए। इस दौरान कही कोई गड़बड़ी मिलती हैं तो संस्थान की संबद्धता निरस्त करने के साथ ही कार्रवाई का ऑप्शन भी रहेगा। SMS वाराणसी जैसे संस्थानों को इसके लिए अनुमति भी मिली पर फाइनल कुछ भी न हो सका।

संबद्धता प्रक्रिया ऑनलाइन क्यों नही?

इसके अलावा अहम सवाल ये भी हैं कि यदि ये प्रक्रिया सालाना की जाती हैं तो इस संबद्धता प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से क्यों नही निपटाया जाता। ऑनलाइन पोर्टल के जरिए तमाम संस्थान और यूनिवर्सिटी सभी फॉर्मेलिटी क्यों नही पूरा करते। अभी भी संबद्धता की फाइनल मुहर के लिए फाइल शासन भेजी जाती हैं। कागजी कोरम और कार्रवाई करने की अपेक्षा टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने इतने अहम काम के लिए आखिर अब तक क्यों डिजिटल ऑप्शन को नही चुना ये भी समझ से भी हैरान करने वाला हैं।

AICTE ने पहले ही दिए थे निर्देश

काउंसिलिंग के लिए AKTU ने समय पर विंडो भी खोल दी थी। करीब 43 हजार स्टूडेंट्स ने एडमिशन के लिए रुचि दिखाई, मतलब उन्होंने खुद को रजिस्टर किया। चूंकि, यह एफीलियेटिंग यूनिवर्सिटी है और इसके साथ इंजीनियरिंग, फार्मेसी, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर के 749 कॉलेज सम्बद्ध हैं। सभी को केन्द्रीय एजेंसियों के निर्देशों के तहत संबद्धता पत्र AKTU को ही जारी करना होता है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इसके लिए 31 जुलाई की डेडलाइन निर्धारित कर रखी थी।

21 अगस्त को कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

अहम बात ये हैं कि यह नियम देश भर में लागू है। पर, AKTU तय समय में अपना टास्क पूरा नहीं कर सका। अब जब तक संबद्धता नहीं होगी, काउंसिलिंग शुरू नहीं हो सकती थी। इस वजह से काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू होते ही रुक गई। राहत के लिए यूनिवर्सिटी सुप्रीम कोर्ट गयी लेकिन इस साल 21 अगस्त को तीन जजेज की बेंच ने याचिका खारिज कर दी। तब AKTU के अफसर SLP दायर करने के चक्कर में घूमते रहे। पिछले हफ्ते उन्हें कामयाबी मिली। अगर राहत मिली तो एडमिशन शुरू हो पाएगा, नहीं मिली तो AKTU का यह सत्र जीरो सेशन हो जाएगा। ये न केवल यूनिवर्सिटी के लिए बल्कि यहां पढ़ रहे स्टूडेंट्स और भविष्य में जुड़ने वाले सभी स्टूडेंट्स के लिए बड़ा झटका रहेगा।

बीते साल NTA का पेंच था फंसा

पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही AKTU में एडमिशन शुरू हो पाया था। बड़ी मशक्कत के बाद काउंसिलिंग की शुरुआत हुई थी। खुद कुलपति तक तो NCR में डेरा जमाना पड़ा था तब कही जाकर काउंसिलिंग की शुरुआत हुई थी। हालांकि पिछले साल मामला नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से जुड़ा था। यही कारण रहा कि कोर्ट से राहत मिलना आसान था।

शिक्षण संस्थान भी असमंजस की स्थिति में

AKTU से जुड़े करीब दर्जन भर से ज्यादा सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज इसी काउंसिलिंग के सहारे हैं। निजी कॉलेज की स्थिति बहुत खराब है क्योंकि उन्होंने तो कुछ एडमिशन सीधे ले लिए हैं। अगर राहत नहीं मिली तो ये एडमिशन भी शून्य हो जाएंगे। यही कारण हैं कि सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर लगी हुई हैं। वहां से राहत मिली तो इससे जुड़े सभी के चेहरे खिल जाएंगे और अगर सर्वोच्च अदालत ने राहत नहीं दी तो उत्तर प्रदेश में पहला मौका होगा, जब किसी विश्वविद्यालय का सत्र जीरो सेशन होगा।