(www.arya-tv.com) BBAU में प्रबंध अध्ययन विभाग की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘अनुसन्धान पद्धति कोर्स’ का उद्घाटन किया गया। यह कोर्स भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है, जिसका मुख्य उददेश्य सामाजिक विज्ञान में शोधरत प्रतिभागियों की अनुसंधान क्षमता का विकास करना, उनके शोध कौशल को मजबूत करना तथा उच्च गुणवत्तायुक्त शोध के लिए प्रेरित करना है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर प्रबंध अध्ययन विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष प्रो. अमित कुमार सिंह एवं अनुसन्धान पद्धति विषयक कोर्स की निदेशक डॉ. तरुणा मौजूद रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथि एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ, पौधा, शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सर्वप्रथम डॉ. तरूणा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य व रुपरेखा से अवगत कराया।
कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को वैज्ञानिक अनुसंधान एवं सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के बारे में बताते हुए कहा कि विज्ञान आविष्कारों की जननी है, जबकि सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के अंतर्गत हम व्यक्ति एवं समाज को समझने और उन्हें बेहतर बनाने का कार्य करते हैं। यह दोनों प्रकार का अनुसंधान इसीलिए आवश्यक है, क्योंकि यह उन समस्याओं को संबोधित करता है, जिसका हम सामना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रो. मित्तल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के परिणामों एवं दुष्परिणामों पर भी विस्तृत चर्चा की और कहा कि सामाजिक अनुसंधान हमें वह सभी सामाजिक मूल्य सिखाता है, जो एक प्रकार से एआई को निर्देश देने के लिए आवश्यक है। साथ ही प्रो. मित्तल ने तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी का उचित प्रयोग, शोध विषय का चयन, प्रभावी शोध, व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर समन्वय आदि विषयों पर चर्चा करते हुए शोधकार्य को ‘विकसित भारत’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए महत्वपूर्ण बताया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आप बेहतरीन शोध के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का कार्य कर सकते है। इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर ही शोध को बढ़ावा दिया गया है। वर्तमान समय में अनुसंधान के तकनीकी पक्ष एवं महत्व को समझने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त इन्होंने शोध कार्य के विभिन्न चरणों जैसे शोध विषय का चयन, साहित्यिक समीक्षा, परिकल्पना, नमूना एकत्रीकरण, आंकड़ों का संकलन एवं विश्लेषण आदि से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर गंभीरता से प्रकाश डाला।
अनुसन्धान पद्धति विषयक कोर्स की निदेशक डॉ. तरुणा ने बताया कि इस कोर्स में विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों के 30 शोधार्थियों ने भाग लिया है। यह कोर्स सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे शोध के नवीनतम तरीकों, तकनीकों और प्रविधियों को सीख सकेंगे। साथ ही कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों को एसपीएसएस और एनवीवो (NVivo) जैसे सांख्यिकीय सॉफ्टवेयर के उपयोग करने का प्रशिक्षण, शोध प्रस्ताव तैयार करने और उसे प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के तरीकों पर भी मार्गदर्शन दिया जाएगा।
अंत में प्रो. अमित कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। द्वितीय सत्र के दौरान देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के प्रो. डी.एन. सनसनवाल ने ‘सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का परिचय (Introduction of Social Science Research)’ एवं ‘अनुसंधान पद्धति का अवलोकन, अनुसंधान की वैचारिक पृष्ठभूमि और अनुसंधान समस्याओं का निर्माण (Overview of Research Methodology, Conceptual Background of Research and Formulation of Research Problems) विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
समस्त कार्यक्रम के दौरान छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. नरेन्द्र कुमार, प्रॉक्टर प्रो. एम.पी. सिंह, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिभागी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
