अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के बाद सुस्त पड़ा निर्यात बाजार दोबारा पटरी पर वापस आ रहा है। वैश्विक बाजार अव्यवस्थित होने के बाद परेशान हुए शहर के नए निर्यातकों को भी अब ऑर्डर मिलने लगे हैं। निर्यात विशेषज्ञों को मानना है कि टैरिफ के बाद कम हुआ अमेरिका के व्यापार के बाद अब शहर के निर्यातक नए विदेशी बाजार पर पकड़ बनाने लगे हैं।
शहर में पिछले वित्तीय वर्ष 129 नए निर्यातकों ने निर्यात बाजार में कदम रखा था। इन निर्यातकों की ओर से छोटे उत्पाद जैसे कृषि उत्पाद, सजावटी सामग्री, लेदर के डिजाइनर फैंसी उत्पाद व माटी के उत्पाद जैसे प्रमुख उत्पादों का कारोबार शुरू किया गया था। निर्यात के दौरान इन निर्यातकों की लगभग 60 फीसदी मार्केट अमेरिका जैसा बड़ा बाजार था। बावजूद इसके टैरिफ लागू होने के बाद कम बजट में निर्यात करने वाले इन निर्यातकों के समक्ष परेशान करने वाली स्थिति बन गई थी। टैरिफ के बाद यह निर्यातक नई बाजार की तलाश में जुट गए थे। अब निर्यातकों को थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम व रूस जैसे देशों से छोटे ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं। फिलहाल इन निर्यातकों में 40 फीसदी निर्यातक ऐसे हैं जिनके सैंपल विदेशी खरीदारों की ओर से मांगे गए हैं।
माना जा रहा है कि न साल के शुरुआती महीनों में इन सभी का निर्यात कारोबार शुरु हो जाएगा। शहर के निर्यात बाजार में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑग्रनाईजेशन के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के निर्यातक नए बाजार में अपनी पहचान बनाना शुरू कर चुके हैं। जहां तक नए निर्यातकों की बात की जाए तो टैरिफ से यह निर्यातक सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। अब इन निर्यातकों ने भी अपना प्लेटफॉर्म बनाना शुरू कर दिया है। यह शहर के निर्यात कारोबार के लिए काफी बेहतर संकेत है। जल्द ही छोटी पूंजी से कारोबार करने वाले इन निर्यातकों को एफटीए का भी लाभ विदेशी खरीदारों से हासिल होना शुरू हो सकता है।
सौ फीसदी प्रभावित कारोबार
अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के बाद शहर के छोटे निर्यातकों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ी थी। इन निर्यातकों का सौ फीसदी कारोबार ठप्प हो गया था। ऐसे में इन निर्यातकों को नई बाजार तलाशना भी काफी मुश्किल साबित हो रहा था। इसकी वजह प्रतियोगिता की वजह से इन निर्यातकों की ओर से उत्पाद की ऑफर की जाने वाली कम कॉस्ट और कम पूंजी रही। अब इन निर्यातकों दूसरी बाजारों से उम्मींद जग गई है।
गैर पारंपरिक उत्पाद
शहर के इन नए निर्यातकों ने चमड़ा, होजरी व मशीनरी के अलावा गैर पारंपरिक उत्पादों का निर्यात शुरु किया था। निर्यात विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि टैरिफ जैसी स्थिति नहीं खड़ी होती तो दो वर्षों में यह निर्यातक 50 करोड़ के निर्यात आंकड़ें को छू लेते। वैश्विक बाजार की स्थिति खराब होने के बाद अब इन निर्यातकों को सौ करोड़ का निर्यात कारोबार लक्ष्य छूने मे समय लग सकता है।
