अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दो हफ्तों में मांगा जवाब, जारी किया नोटिस

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(www.arya-tv.com) केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। Supreme Court ने अध्यादेश पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।

साथ ही उपराज्यपाल को पक्षकार के तौर पर शामिल करने की याचिका को संशोधित करने की मंजूरी भी दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई की, जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी इस बेंच का हिस्सा रहे।
दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि वह दिल्ली सरकार की तरफ से दलीलें रख रहे हैं। अध्यादेश पर लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों में उससे जवाब मांगा है।

दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल को पक्षकार के तौर पर शामिल करने के लिए याचिका को संशोधित करने की मंजूरी भी दी गई है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश पर रोक लगाने की मांग की थी।अध्यादेश को बताया गया था धोखालंबी लड़ाई के बाद दिल्ली में चुनी हुई सरकार को एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज का अधिकार मिला था।

अध्यादेश के जरिए इसी अधिकार को केंद्र ने वापस ले लिया। 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023) के जरिए एक अथॉरिटी बनाई, जो ग्रुप-ए अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करेगी।

दिल्ली सरकार ने इसे ‘धोखा’ करार दिया। अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपनी याचिका में अध्यादेश को ‘कार्यकारी आदेश का एक असंवैधानिक अभ्यास’ करार दिया। दलील है कि यह संविधान की मूल संरचना को ‘ओवरराइड’ करने की कोशिश है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी।दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को बताया धोखा, केंद्र पर साधा निशाना

ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र का अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़ दिल्ली सरकार को सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार दिया था। केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाने की कवायद पेश की, जिसे ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार होगा। ये अथॉरिटी दिल्ली के अलावा अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली में भी ट्रांसफर-पोस्टिंग कर सकेगी।

अध्यादेश पर क्यों दिल्ली सरकार को आपत्ति?
अब अध्यादेश के जिस सेक्शन को लेकर पेंच फंसा है और कोर्ट में चुनौति दी गई है, वो है सेक्शन 45डी. इसमें कहा गया है कि ‘किसी भी अन्य कानून के बावजूद दिल्ली में सभी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग और वैधानिक निकाय राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्यों द्वारा गठित होंगे।’ याचिका में कहा गया है कि इससे दिल्ली सरकार द्वारा गठित और वित्तपोषित 50 ऐसे निकाय हैं जो प्रभावित होंगे, जो दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन का एपिसेंटर है इसमें दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
11 मई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग एलजी के नियंत्रण में थे। याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा कि अध्यादेश कार्यकारी आदेश के माध्यम से शीर्ष अदालत और संविधान की मूल संरचना को ‘ओवरराइड’ करने की कोशिश है। चीफ जस्टिस डीवी चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला किया था। मामला आठ साल से कोर्ट में लंबित था।