(www.arya-tv.com) सदियों से अवैध हथियारों के लिए पूरी दुनिया में पहचान रखने वाला बिहार का मुंगेर अब यूपी से पीछे छूट रहा है। मौत का सामान बनाने में यूपी का सहारनपुर कब इतना आगे निकल गया, इसका पता न तो खुफिया एजेंसियों को लगा और न ही पुलिस पकड़ पाई। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सहारनपुर में ताबड़तोड़ पकड़े गए असलहों के आठ कारखानों से पुलिस महकमा भी सकते में है।
अवैध हथियार बनाने की आठ फैक्ट्रियां पकड़ी
ATS के साथ मिलकर सहारनपुर पुलिस ने बीते 11 दिनों में अवैध हथियार बनाने की आठ फैक्ट्रियां पकड़ी हैं। यहां से करीब एक हजार असलहे बरामद हुए। इसमें तमंचे से लेकर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली रायफल शामिल हैं। ज्यादातर कारखाने देवबंद और उससे सटे इलाकों में चल रहे थे। पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया कि यह आधुनिक हथियार नक्सलियों को बेचे जा रहे थे। इसके अलावा पूरे देश में इनकी सप्लाई हो रही थी। ATS सूत्रों का कहना है कि मुजफ्फरनगर के रास्ते यह हथियार सरहद पार आतंकी संगठनों तक पहुंचाए जा रहे थे।
मुंगेर के बने हथियारों की पूरी दुनिया में मांग बढ़ गई
बादशाह मीर कासिम के बंदूक कारखाने से मुंगेर में हथियार बनाने के कारीगर पैदा हुए। कारखाना बंद हुआ, तो इन कारीगरों ने अवैध रूप से असलहे शुरू कर दिए। इस काम में ये इतने हुनरमंद थे कि मुंगेर के बने हथियारों की पूरी दुनिया में मांग बढ़ गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुंगेर के ज्यादातर असलहा कारीगर एक समुदाय विशेष के थे, जिनकी यूपी के कई जिलों में शादियां हुई और वह विस्थापित होकर यहीं बस गए।
इसके पहले तक यहां के लोहार चोरी-छिपे तमंचे बनाते थे। मगर, मुंगेर के इन कारीगरों ने आधुनिक तकनीक से अवैध हथियार बनाने की नींव डाल दी। हाल ही में मऊ में भी एक बड़ी असलहा फैक्ट्री पकड़ी गई, जिसे दो महिलाएं संचालित कर रही थीं। इन दोनों ने भी मुंगेर कनेक्शन का खुलासा किया था।
चुनाव में होने वाली बड़ी गड़बड़ी को रोका गया
सहारनपुर के एसपी आकाश तोमर ने बताया कि विधानसभा चुनाव में बड़ी साजिश के तहत ये असलहे बनाए जा रहे थे। इस साजिश में देश विरोधी ताकतों का कितना हाथ है, इसकी जांच इंटेलिजेंस कर रही है। उधर, ADG कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि सहारनपुर के अलावा बरेली, मेरठ, मऊ समेत कई जिलों में असलहों की फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं। उनका कहना है कि इस कार्रवाई से चुनाव में होने वाली बड़ी गड़बड़ी को रोका गया है।
कारतूस नक्सलियों से लेकर आतंकियों तक पहुंचाए गए
करीब चार साल पहले पुलिस की ऑडिट में प्रदेशभर के गन हाउस से लाखों कारतूस गायब मिले थे। पुलिस की जांच में सामने आया था कि यह कारतूस नक्सलियों से लेकर आतंकियों तक पहुंचाए गए हैं। अब पकड़ी जा रही इन असलहों की फैक्ट्रियों से गायब कारतूसों का कनेक्शन खंगाला जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अवैध असलहों के साथ वैध कारतूसों की सप्लाई भी इन्हीं कारखानों के जरिए हो रही थी।