- आत्मनिर्भरता अब एक आवश्यकता बन गई है क्योंकि भारत को दोहरे सीमा खतरे और युद्धकला के नए आयामों का सामना करना पड़ रहा है: लखनऊ में रक्षा मंत्री का संबोधन
- मजबूत और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ है; सरकार सुनिश्चित कर रही है कि सशस्त्र बल विदेशी उपकरणों पर निर्भर न रहें
(www.arya-tv.com)आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है, क्योंकि भारत आज तेजी से बदलते विश्व में उभर रही युद्धकला के नए आयामों के साथ-साथ अपनी सीमाओं पर दोहरे खतरे का सामना कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में पूर्व सैनिकों की पहल स्ट्राइव थिंक-टैंक और एक मीडिया संगठन द्वारा आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर एक रक्षा संवाद के दौरान यह बात कही।
रक्षा मंत्री ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना को एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ बताया, जो सीमाओं की रक्षा के अतिरिक्त देश की सभ्यता और संस्कृति की सुरक्षा करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सशस्त्र बल विदेशी हथियारों और उपकरणों पर निर्भर न हों और उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली शक्ति ‘आत्मनिर्भर’ होने में निहित है, विशेष रूप से जब कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकांश हथियार इलेक्ट्रॉनिक-आधारित प्रणालियां हैं, जो शत्रुओं के समक्ष संवेदनशील जानकारी प्रकट कर सकते हैं। चूंकि आयातित उपकरणों की कुछ सीमाएँ हैं, हमें इसके दायरे से आगे जाने और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता अर्जित करने की आवश्यकता है। नवीनतम हथियार/उपकरण हमारे सैनिकों की बहादुरी के समान ही महत्वपूर्ण हैं। यदि भारत वैश्विक स्तर पर एक सैन्य शक्ति बनना चाहता है, तो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है।”
इस अवसर पर यूपीडीआईसी के मुख्य नोडल अधिकारी एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (सेवानिवृत्त), सशस्त्र बलों और डीआरडीओ के अधिकारी तथा उद्योग एव शिक्षा जगत के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।