(www.arya-tv.com) लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी संस्कृति, इतिहास और अतुल्य विरासत के लिए प्रसिद्ध है. यह नवाबों की नगरी के रूप में जाना जाता है.जहां तहज़ीब, अदाब, शायरी, संगीत और भोजन की महक हर तरफ फैली हुई है. इस शहर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं. जिनके बारे में आप अभी तक अनजान होंगे जो इस शहर को अपने आप में खास पहचान देती है. दरअसल, पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेता युग में इस शहर को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बसाया था.लखनऊ प्राचीन कौशल राज्य का हिस्सा था.लखनऊ उस इलाके में स्थित है,जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध के नाम से जाना जाता है.
इतिहासकार नवाब मसूद अब्दुल्लाह के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान श्री राम ने रावण को पराजित कर अयोध्या वापस लौटा, तो उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को गोमती नदी के किनारे का यह क्षेत्र भेंट में दिया था. इसके बाद लक्ष्मण ने गोमती के तट पर यह शहर बसाया था.इस शहर को लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना जाता था.लक्ष्मण को उत्तर भारत में लखन भी कहा जाता है.एक और मत यह है कि यह शहर लक्ष्मण के बाद लक्ष्मणवती के रूप में जाना जाता था.यह नाम पहले लखनवती हुआ,फिर लखनौती और फिर लखनऊ हो गया.
लखनऊ अवध की राजधानी बनी
उन्होंने बताया कि नवाबी दौर की शुरुआत 1722 में हुई थी.तभी सआदत खां ने लखनऊ में अपना साम्राज्य बसाया था और इनका कार्यकाल 1722 से 1739 रहा. इसके साथ लखनऊ में सफदरगंज, गाजीउद्दीन हैदर, नसीरुद्दीन हैदर, शुजाउद्दौला, मुहम्मद अली शाह और नवाब वाजिद अली शाह आदि ने शासन किया.नवाब आसफुद्दौला के समय में राजधानी फैजाबाद को बदल कर लखनऊ कर दी गई उसी के बाद लखनऊ अवध की राजधानी बन गई.
तब से ये अवध कहलाने लगा
मुगल बादशाह ने हिंदुस्तान को 12 सूबों में बांटा था और अवध भी उसका एक सूबा था. मुगल बादशाह ने यहां शेखजादों को राज करने के लिए भेजा था, लेकिन वे बादशाह से खुदमुख्तार गए थे और राजस्व भेजना बंद कर दिया था. इसके चलते मुगल बादशाह ने नवाब सआदत खान बुरहान-उल-मुल्क को यहां के शेखजादों से जंग करने के लिए और फतह हासिल कर यहांराज करने को भेजा था. जब सआदत खान बुरहान-उल-मुल्क यहांतशरीफ लाए तो उन्होंने शेखजादों से कहा कि आप हमसे जंग करें या तो फिर ये जगह छोड़ कर चले जाएं.
शेखजादों ने सआदत खान बुरहान-उल-मुल्क की ताकत को देखते हुए बिना जंग किए यह सूबा छोड़ कर चले जाने का फैसला लिया.फिर मुगल बादशाह ने सआदत खान बुरहान-उल-मुल्क को पहला नवाब वजीर बनाया, तब से यह पूरा इलाका और छेत्र अवध कहलाने लगा.अवध मतलब जिसका वध ना हो सके, क्योंकि जो छेत्र फतह करना था उसका वध नहीं हुआ, इसी लिए इसको अवध कहने लगे.ये शब्द संस्कृत से लिया गया था.