पुलिस रिकॉर्ड में अभी भी जिंदा है गैंगस्टर विकास दुबे, शिवली थाने में पोस्टर भी लगे

UP

(www.arya-tv.com)कानपुर के बिकरु कांड को एक साल पूरे हो गए हैं। पिछले साल 2-3 जुलाई की रात बिकरु गांव में गैंगेस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने 8 पुलिस कर्मियों को मार डाला था। हालांकि, 10 जुलाई को विकास दुबे भी एनकाउंटर में मारा गया था। एक साल पूरे होने पर दैनिक भास्कर ने बिकरु गांव से ग्राउंड रिपोर्ट की।

इसमें मालूम चला कि एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे पुलिस के रिकॉर्ड में अब भी जिंदा है। एनकाउंटर के साल भर बाद भी शिवली थाने में विकास दुबे के नाम के पोस्टर फरार आरोपियों के तौर पर लगे हुए हैं। अब तक उसका डेथ सर्टिफिकेट भी नहीं बना है। वजह यह है कि पोस्टमार्टम के बाद लाश के साथ जो पर्ची लगी थी, उसमें विकास दुबे के पिता का नाम गलत लिखा था। इसी आधार पर श्मशान घाट से पर्ची मिलती है।

एनकाउंटर में मारा विकास दुबे एक पहेली बना हुआ है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में उसकी पत्नी ऋचा दुबे को मिली रसीद भी मोहर लगा रही है। विकास दुबे की डेड बॉडी में लगी पर्ची में पिता का नाम राजकुमार दर्ज है। इस पर्ची का नंबर 1847/20 है। जबकि गैंगस्टर विकास दुबे के पिता का नाम राम कुमार दुबे है।

विकास की पत्नी बोली- कोई नहीं कर रहा सुनवाई
खेती मकान और सारी चल-अचल संपत्ति में भी विकास दुबे के नाम अभी है। विकास की पत्नी ऋचा दुबे का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर ही श्मशान घाट से रसीद मिली है। जिसमें विकास के पिता का नाम गलत लिखा गया है। नाम सही कराने के लिए वह पुलिस अधिकारियों से लेकर नगर निगम के चक्कर लगाकर थक चुकी है। कोई सुनने वाला ही नही है। यही कारण है कि एक साल बाद भी विकास दुबे का डेथ सर्टिफिकेट नही बन पाया है।

2 जुलाई की रात को हुआ था बिकरु कांड
कानपुर के बिकरू गांव में दो-तीन जुलाई की रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला बोल गैंगस्टर विकास दुबे व उसके साथियों ने सीओ सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से विकास दुबे अपने गैंग के साथ फरार हो गया। विकास दुबे यहां से फरार होकर मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुंच गया था। यूपी पुलिस जब उसे यहां ला रही थी, उसी दौरान एनकाउंटर में विकास मारा गया था।