SBI ने किये ये बड़े बदलाव, आपके लिए जानना है बेहद जरूरी

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देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI ) ने साल 2018-19 में कई बदलाव किए हैं। इन बदलावों में चेक बुक, न्यूनतम बैलेंस, एटीएम के नियम, आरटीजीएस, एनईएफटी, आदि शामिल हैं। इन नियमों का असर सीधे तौर पर ग्राहकों पर पड़ेगा। एसबीआई के कुछ एलानों से एक ओर जहां बैंक खाताधारकों को फायदा होगा, वहीं कुछ नियमों से उन्हें नुकसान भी हो सकता है। आइए जानते हैं इन सब नियमों के बारे में।

चेक बुक में घटे पन्ने
भारतीय स्टेट बैंक ने चेक के द्वारा किए जाने वाले लेन-देन को महंगा कर दिया है। बैंक ने सेवा शुल्कों की नई सूची जारी की थी। उसके मुताबिक, बचत खाते पर एक वित्त वर्ष में 25 की जगह केवल 10 चेक ही मुफ्त मिलेंगे। इसके बाद 10 चेक लेने पर 40 रुपये देने होंगे। जबकि पहले मुफ्त चेक बुक के बाद 10 चेक लेने पर 30 रुपये देने पड़ते थे। इसमें जीएसटी अलग से चुकाना होगा।

चेक बाउंस होने पर लगेंगे 168 रुपये
एसबीआई ने चेक रिटर्न के नियमों को भी कड़ा कर दिया है। बैंक के सर्कुलर के अनुसार एक अक्तूबर 2019 के बाद कोई भी चेक किसी तकनीकी के कारण (बाउंस के अलावा) लौटता है तो चेक जारी करने वाले पर 150 रुपये और जीएसटी अतिरिक्त का चार्ज देना है। जीएसटी को मिलाकर यह चार्ज 168 रुपये होगा।

ATM के नियम में भी हुआ बदलाव
एक अक्तूबर से एसबीआई के एटीएम चार्ज भी बदल दिए थे। बैंक के ग्राहक मेट्रो शहरों के एसबीआई एटीएम में से अधिकतम 10 बार ही फ्री डेबिट लेन-देन कर सकेंगे। इससे पहले यह लिमिट छह लेन-देन की थी।

न्यूनतम बैलेंस रखने में राहत
एसबीआई ने मेट्रो शहरों में मासिक न्यूनतम बैलेंस राशि को 5000 से घटाकर 3000 कर दिया है। पूर्ण शहरी इलाकों के खाताधारकों के न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर लगने वाले शुल्क में भी कमी की है। खाते में तय रकम से यदि बैलेंस 75 फीसदी से कम रहता है तो जुर्माने के तौर पर 80 रुपये और जीएसटी देना होगा।

खाते में 50 से 75 फीसदी तक बैलेंस रखने वालों को 12 रुपये और जीएसटी और 50 फीसदी से कम बैलेंस होने पर 10 रुपये जुर्माना और जीएसटी अदा करना होगा। साथ ही बैंक ने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग लेनदेन पर मासिक सीमा को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अपने खाते में 25000 रुपये औसतन मासिक बैलेंस रखने वाले ग्राहक बैंक ब्रांच से दो बार मुफ्त में पैसे निकाल सकते हैं।

खाते में 25,000 से 50,000 रुपये तक का औसतन मासिक बैलेंस रखने वाले शाखा से मुफ्त में 10 बार पैसे निकाल सकते हैं। खाते में 50,000 रुपये से अधिक और एक लाख रुपये तक रखने वाले ग्राहक बैंक शाखा से असीमित संख्या में पैसे निकाल सकते हैं।

डेबिट कार्ड से कर सकते हैं EMI पर खरीदारी
इस साल एसबीआई ने अपने ग्राहकों के लिए एक नई सुविधा की शुरुआत की थी। एसबीआई ने ग्राहकों को डेबिट कार्ड से खरीदारी करके ईएमआई में पेमेंट करने की सुविधा दी थी। इससे ग्राहक अपने सारे खर्चे पूरे कर सकते हैं। खास बात ये है कि इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लगेगा। बैंक के ग्राहक प्वाइंट ऑफ सेल ( PoS ) मशीनों के जरिए भारत में ईएमआई पर किसी भी कंज्यूमर ड्यूरेबल सामान की खरीदारी कर सकते हैं। किस्तों के भुगतान के लिए आपको छह महीने से 18 महीने तक का समय मिलेगा। इतना ही नहीं, सुविधा के तहत आपको डॉक्यूमेंटेशन की भी जरूरत नहीं है।

NEFT और RTGS के चार्ज भी बदले
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर ( NEFT ) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट ( RTGS ) का शुल्क भी बदल गया है। 10,000 रुपये तक का एनईएफटी लेनदेन पर दो रुपये के साथ जीएसटी लगेगा। वहीं दो लाख से अधिक की राशि एनईएफटी करने पर 20 रुपये के साथ ग्राहकों को जीएसटी देना होगा। आरटीजीएस से दो लाख से पांच लाख तक भेजने पर 20 रुपये के साथ जीएसटी लगेगा। पांच लाख रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर 40 रुपये प्लस जीएसटी चार्ज लगेगा। बता दें कि यह डिजिटल पेमेंट माध्यम से मुफ्त है लेकिन ब्रांच पर इसकी फीस लगाई जाती है।

क्या है NEFT ?
NEFT का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिये दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिये किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है। बस इकलौती शर्त ये है कि भेजने वाले और पैसा पाने वाले, दोनों के पास इंटरनेट बैंकिंग सेवा का होना जरूरी है। अगर दोनों खाते एक ही बैंक के हैं तो सामान्य स्थिति में कुछ सेकेंड्स के अंदर पैसा ट्रांसफर हो सकता है।

क्या होता है RTGS ?
RTGS का मतलब है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम। ‘रियल टाइम’ का मतलब है तुरंत। मतलब जैसे ही आप पैसा ट्रांसफर करें, कुछ ही देर में वह खाते में पहुंच जाए। आरटीजीएस दो लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।