(www.arya-tv.com) पूर्वांचल की सबसे चर्चित गाजीपुर लोकसभा सीट को हमेशा से ही सियासी उलटफेर के लिए जानी जाती है. इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने बीजेपी के पारसनाथ राय को 124861 वोटों से शिकस्त दी है. हालांकि गाजीपुर की सीट पर शुरू से ही कांटे की लड़ाई मानी जा रही थी लेकिन 4 जून को आए इस परिणाम के बाद अब यह सवाल शुरू हो चुका है कि क्या समाजवादी पार्टी के अफजाल अंसारी के खिलाफ भाजपा की तरफ से एक मजबूत दावेदार उतारने में चूक हो गई. गाजीपुर की लोकसभा सीट पर आए परिणाम को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अरुण मिश्रा से एबीपी लाइव ने बातचीत की.
गाजीपुर की लोकसभा सीट को लेकर अरुण मिश्रा ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान बताया कि इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के करारी हार की अनेक वजह है. सबसे प्रमुख तो मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सीधे तौर पर गाजीपुर के लोकसभा सीट की चुनावी लड़ाई अंसारी परिवार बनाम अन्य हो चुकी थी. यहां से भारतीय जनता पार्टी ने पारसनाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा था. पारसनाथ एक शिक्षाविद है, उनका इससे पहले राजनीति में कोई अनुभव नहीं था. खासतौर पर चुनावी दौर से वह बिल्कुल अनजान रहे थे. इसमें कोई दो राय नहीं की गाजीपुर की लोकसभा सीट पर राजनीतिक दाव पेंच जानने वाला व्यक्ति एक शिक्षाविद से कहीं ज्यादा प्रभावी माना जाएगा.
गाजीपुर सीट पर चला सपा का PDA जादू
इसके अलावा मनोज सिन्हा के करीबी होने की वजह से पारसनाथ राय को गाजीपुर से टिकट दिया गया. जबकि पारसनाथ राय भूमिहार जाति से आते हैं और निर्धारित 50 हजार भूमिहार वोटर पर बीजेपी का यह जातिगत समीकरण सटीक नहीं बैठ सका. वहीं दूसरी तरफ अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी के कोर वोटर का वोट तो मिला ही. साथ ही उनके द्वारा जनसुनवाई और क्षेत्रीय लोगों को उनके द्वारा की गई मदद भी वोट में तब्दील हुई.
मनोज सिन्हा के नाम पर बीजेपी देती कड़ी टक्कर
अरुण मिश्रा ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के प्रचंड लहर में डॉ. मनोज सिन्हा ने गाजीपुर से जीत हासिल की थी. उन्होंने 5 साल बतौर सांसद रहते हुए गाजीपुर में अनेक ऐसे कार्य किए जिसके लिए गाजीपुर की जनता उन्हें विकास पुरुष का नाम दे चुकी है. हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा के सिंबल पर अफजाल अंसारी ने उन्हें शिकस्त दी थी. जिसकी कसक गाजीपुर के वोटरों में आज भी रहती है . इसलिए कहा जा सकता है कि डॉ. मनोज सिन्हा या उनके बेटे अगर गाजीपुर से 2024 लोकसभा चुनाव लड़ते तो भाजपा के लिए गाजीपुर का सियासी समीकरण बिल्कुल सटीक बैठता.