​​​​​​​मथुरा में शाही ईदगाह मामले में सुनवाई टली:राज्य सरकार 18 सितंबर को रखेगी अपना पक्ष

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(www.arya-tv.com)  इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद भूमि पर पूजा का अधिकार देने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई आज टल गई। वकीलों की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। अब मामले में 18 सितंबर को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में पूजा का अधिकार देने सहित पूरी भूमि का अधिग्रहण कर ट्रस्ट बनाने और हिंदुओं को पूजा की छूट देने की मांग को लेकर यह याचिका दाखिल की गई है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर मांगी थी जानकारी
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने 24 अगस्त को राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी। याची के सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता महक महेश्वरी का कहना था कि एक समझौते के तहत कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन में से 11.37 एकड़ जन्मभूमि मंदिर तथा शेष 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह को सौंपा जाना गलत है। याचिका में एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराने की भी मांग की गई है। इस केस में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने राज्य सरकार का पक्ष रखा है।

याचिका में दावा-शाही ईदगाह की जगह था कंस का दरबार
जनहित याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है। याची का कहना है कि जहां शाही ईदगाह है वहीं कंस का कारागार था, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया है। जिस जगह अभी मस्जिद है वहां द्वापर युग में कंस ने भगवान श्री कृष्ण के माता-पिता को जेल में कैद कर रखा था। इसी विवाद पर यह जनहित याचिका दायर की गई है।

विवाद को लेकर अब तक 12 से ज्यादा मुकदमे हुए
इस विवाद को लेकर मथुरा की स्थानीय अदालतों में 12 से ज्यादा केस फाइल हो चुके हैं। सभी याचिकाओं में एक आम मांग 13.37 एकड़ के परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की है। यह मस्जिद कटरा केशव देव मंदिर के पास है।

माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म इसी मंदिर परिसर में हुआ था। अन्य अपीलों में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की तरह ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे कराने और वहां पूजा का अधिकार देने की मांग शामिल है।

औरंगजेब ने बनवाई थी मस्जिद
शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 1670 में औरंगजेब ने कराया था। माना जाता है कि इसका निर्माण एक पुराने मंदिर की जगह कराया गया था। इस इलाके को नजूल भूमि यानी गैर-कृषि भूमि माना जाता है। इस पर पहले मराठों और बाद में अंग्रेजों का अधिकार था।

1815 में बनारस के राजा पटनी मल ने 13.37 एकड़ की यह भूमि ईस्ट इंडिया कंपनी से नीलामी में खरीदी थी। उसी पर ईदगाह मस्जिद बनी है, जिसे भगवान कृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है। राजा पटनी मल ने यह भूमि जुगल किशोर बिड़ला को बेच दी थी।

यह पंडित मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त और भीकेन लालजी आत्रेय के नाम पर रजिस्टर्ड हुई थी। जुगल किशोर ने एक ट्रस्ट बनाया, जिसका नाम श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट रखा। इसने कटरा केशव देव मंदिर के स्वामित्व का अधिकार हासिल कर लिया।