रामपुर के चर्चित डूंगरपुर मामले में आजम खान को मिली जमानत, कब तक आएंगे जेल से बाहर?

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान को कथित डूंगरपुर मामले में बुधवार (10 सितंबर) को जमानत दे दी है. इस मामले में एक रिहायशी कॉलोनी को कथित तौर पर बलपूर्वक खाली कराया गया था.

बता दें रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने आजम खान को इस मामले में दोषी करार देते हुए 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही उनके साथी बरकत को भी जमानत दे दी गई है. फिलहाल जमानत के बाद अब आजम खान के जेल से बाहर आने के रास्ते खुल गए हैं.  हालांकि उन पर भी एक और मामला चल रहा है जिसमें उन्हें जमानत नहीं मिली है.

न्यायमूर्ति समीर जैन ने याचिका पर सुनाया फैसला

न्यायमूर्ति समीर जैन ने आजम खान द्वारा दायर जमानत याचिका पर यह आदेश पारित किया. इससे पूर्व, 12 अगस्त को अदालत ने आजम खान और बरकत अली नाम के एक ठेकेदार की जमानत याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था. बरकत अली ने भी उच्च न्यायालय में एक आपराधिक अपील दायर की है.

कथित डूंगरपुर मामले में अबरार नाम के एक व्यक्ति ने आजम खान, पुलिस से क्षेत्राधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली के खिलाफ अगस्त, 2019 में रामपुर के गंज पुलिस थाने में एक मामला दर्ज कराया था. कोर्ट के फैसले के बाद आजम खान जेल से रिहा हो सकते हैं.

बता दें लगभग 2 साल से ज्यादा समय से आजम खान सीतापुर जेल में बंद है वहीं उनके बेटे स्वार-टांडा से पूर्व विधायक अब्दुल्लाह आजम पहले ही जेल से जमानत पर रिहा हो चुके हैं.

शिकायत में लगे थे ये आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आजम खान, आले हसन खान और बरकत अली ने दिसंबर, 2016 में उसकी पिटाई की थी और उनके घर में तोड़फोड़ करते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि इसके साथ ही इन तीनों ने उसका घर भी ध्वस्त करा दिया था.

इस मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने 30 मई, 2024 को आजम खान को 10 वर्ष और बरकत अली को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. डूंगरपुर बस्ती में रह रहे लोगों ने कॉलोनी खाली कराने का आरोप लगाते हुए 12 मामले दर्ज कराये थे.

 ये मामले गंज थाने में लूट, चोरी और मारपीट सहित विभिन्न धाराओं में दर्ज कराये गए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने आजम खान और बरकत अली की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.