(www.arya-tv.com) सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी अब शत्रु संपत्ति के फेर में फंस गयी है. गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति विभाग की टीम ने गुरुवार को 13.08 हेक्टेयर जमीन को चिन्हित कर उसे कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है. यह कार्रवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी. आखिर आजमा खान का यह ड्रीम प्रोजेक्ट शत्रु संपत्ति के दायरे में कैसे आ गया? आइये समझते हैं.
दरअसल, आजम खान पर आरोप है कि जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण के दौरान उन्होंने कस्टोडियन की संपत्ति को यूनिवर्सिटी में अवैध तरीके से मिला लिया. जिसके बाद शासन स्तर से फिर हाईकोर्ट के आदेश पर अब इस पर कब्जे की कार्रवाई शुरू की गयी है. आजम खान के खिलाफ अजीमनगर थाने में एक मुकदमा कायम हुआ था. यह मुकदमा राजस्व निरीक्षक मनोज कुमार की तहरीर पर दर्ज किय गया था. इसमें आरोप लगा था कि आजम खान ने सींगनखेड़ा गांव में ताहिर हुसैन की जमीन पर कब्जा कर उसे यूनिवर्सिटी में मिला लिया है. ताहिर हुसैन पाकिस्तान में रहते हैं. लिहाजा उनकी जमीन सरकारी अभिलेखों में शत्रु संपत्ति के तौर पर दर्ज है. लेकिन यूनिवर्सिटी के चांसलर आजम खान ने इस पर कब्ज़ा किया है जो गैर कानूनी है. यहीं से यह विवाद शुरू हुआ.
क्या होती है कस्टोडियन या शत्रु संपत्ति?
दरअसल, जो लोग युद्ध या विभाजन के समय शत्रु देश में चले गए, उनकी संपत्ति को कस्टोडियन संपत्ति कहा जाता है. इसके लिए भारत सरकार के अधीन कस्टोडियन डिपार्टमेंट है. स्थानीय स्तर पर डीएम ही शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक होते हैं. आजम खान के मामले में यह पूरी जमीन 13.8 हेक्टेयर की है. 2006 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले शत्रु संपत्ति विभाग के पक्ष में आर्डर हुआ था. अब अप्रैल 2024 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद कब्जे की कार्रवाई की जा रही है. डीएम जोगिन्दर सिंह ने बताया कि ग्रामपंचायत सींगनखेड़ा में यह यूनिवर्सिटी बनी है. इसमें 13.8 हेक्टेयर जमीन शत्रु संपत्ति के रूप में चिन्हित है.