निजी अस्पतालों को बताना होगा कौन-सी एंटीबायोटिक बेअसर

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(www.arya-tv.com) एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। एम्स और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2016 में प्रदेश में एंटीबायोटिक को लेकर बनी नीति में संशोधन पर काम कर रहे हैं।

इसमें यह प्राविधान किया जा रहा है  कि निजी अस्पतालों और लैब को बताना होगा कि उनके यहां आने वाले मरीजों को दी गई एंटीबायोटिक दवाएं बिना बैक्टीरिया पर बेअसर साबित हो रही हैं।

सरकारी असपतालों के डॉक्टरों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे मरीजों को एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के संबंध में जागरुक करें। दरअसल, मरीज दवाओं का मापदंड के अनुसार सेवन नहीं करते हैं, जिससे अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।

एंटीबायोटिक दवाएं, निष्प्रभावी होने को लेकर एम्स में पिछले सप्ताह आयेाजित एक कार्यशाला में भी विशेषज्ञों ने इस तरह के सुझाव दिए हैं। प्रदेश में एंटीबायोटिक नीति बनाने वाला केरल के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है। नीति में इस पर जोर दिया जाएगा कि संक्रमण के उपचार के लिए कोई एंटीबायोटिक देने के पहले कल्चर टेस्ट कराया जाए।