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Arya tv web desk [ Stuti Tiwari ]

आज नीलम बहुत खुश हैं, उसकी छोटी बहन जो आ रही हैं। वो भाग भाग कर सारे घर के पर्दे, चादरे बदल रही हैं। कपिल उसका उत्साह देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

नीलम की छोटी बहन पायल आज पहली बार उसके घर आ रही थी। आज शाम की ट्रेन से वो मुम्बई पहुंच रही थी।

पायल के आने से नीलम और कपिल का छोटा सा घर हंसी से झंकृत हो गया। वो आठ दिन रही और उन दिनो वो कभी मूवी, कभी डिनर तो कभी जुहू चौपाटी जाते| कपिल भी बहुत खुश था,  उसे मालूम हैं कि बहनों का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता हैं। हालांकि जब पायल विदा हुई तो कपिल ने राहत की सांस ली क्योंकि इस महीने की लगभग पूरी तन्खवाह घूमने फिरने और शॉपिंग में खर्च हो गयी थी।

जब नीलम पायल के लिए चार हज़ार का सूट और अपनी माँ के लिए भी साड़ी ले रही  थी, तो कपिल ने थोड़ा सा बोला भी “नीलम, तोहफे की कीमत नही , देने वाले का प्यार देखा जाता हैं”

नीलम रुआँसी हो कर बोली “मैं नौकरी नही कर रही हूँ ना , इसलिए बोल रहे हो, और फिर मेरे माँ और पापा ने कितने महँगे तोहफ़े भेजे हैं”

कपिल बोला “वो तोहफे उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से भेजे हैं , हम उनकी नक़ल नही कर सकते”

पर नीलम का मूड खराब होता देख वो चुप लगा गया। वो नीलम को बहुत प्यार करता था,इसलिए उसने आगे कुछ नही कहा।

आज कपिल बहुत खुश हैं,  उसकी बड़ी बहन उनके घर पहली बार आ रही हैं। पर चाह कर भी वो नीलम में कोई उत्साह नही देख पा रहा था।

उसने नीलम से कहा “तुम चलोगी ना दीदी को लेने”

नीलम बुझे  स्वर में बोली “घर का काम कौन देखेगा”

जब कपिल की दीदी आई तो वो भी उसके और नीलम के लिए बहुत सुंदर तोहफे लायी थी, पर नीलम ने साड़ी को देख कर मुँह बिचका दिया और दीदी से बोली “ये सिल्क की साड़ी, यहाँ के मौसम में कौन पहनेगा”

दीदी बोली “भाभी ये आपके गोरे रंग पर बहुत खिलेगी,आप गणेश पूजा पर पहनना”

नीलम ने कोई जवाब ना दिया और उठ कर दूसरे कमरे में चली गयी।

शाम को नीलम जैसे ही रसोई की तरफ जाने लगी, कपिल बोला “आज बाहर डिनर करेगे”

नीलम कुछ ना बोली पर वो कपिल के फैसले से खुश नज़र नही आ रही थी। हालांकि दीदी ने ही डिनर का बिल दिया पर रात में नीलम कपिल पर बरस पड़ी “पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं, आज उन्होंने बिल दिया हैं, कल तुमको ले कर जाना पड़ेगा और इससे भी अच्छे और महंगे होटल में”

कपिल को नीलम के इस दोगले व्यवहार से कोफ्त हो रही थी। दीदी जितने दिन भी रही, नीलम ने उनके साथ एक दूरी ही बना कर रखी।

जब वो लोग दीदी को तोहफे दिलाने बाजार ले कर गए तो हद तो तब हो गयी, जब नीलम ने बहुत बेशर्मी से दीदी को एक हज़ार का सूट दिलाया और मुस्कुराते हुए बोली” दीदी ये रंग आप पर बहुत अच्छा लगेगा और तोहफे देने वाले की नीयत देखी जाती हैं,  कीमत नहीं”

दीदी ने भावविभोर हो कर नीलम को गले लगा लिया,  नीलम बोली “अभी मेरी नौकरी नही हैं और महीने का आखिर चल रहा हैं”

कपिल ये ही सोच रहा था, ये सब बाते पायल पर क्यों लागू नही हो रही थी।

दीदी दो दिन और रुकी, उन्होंने दोनों दिन अपने हाथों से जायकेदार पकवान बनाए,नीलम भी अब दीदी के थोड़े करीब आ गयी थी।

अगले दिन दीदी को निकलना था,  नीलम ने अलमारी से एक शिफॉन की लाल रंग की प्रिंटेड साड़ी निकली और दीदी से बोली “दीदी ये मेरी मम्मी ने मुझे दी थी, मैं कभी पहन नही पाई, मुझे बहुत ही पसंद हैं, ये आप ले जाओ,  मुझे बहुत अच्छा लगेगा, जब आप इसे पहनोगी”

दीदी बोली “नीलम तुमने पहनी या मैंने बात एक ही हैं,  तुमने मेरे बारे में सोचा बस ये ही बहुत हैं”

ट्रेन चलने का टाइम हो गया था,  कपिल दीदी से बोला “दीदी आप ये पांच हज़ार रखो, मैं नीलम को समझ नही पाया,उसके नज़रिये में इतना फ़र्क क्यों हैं मेरे और अपने घर वालो को लेकर”

दीदी बोली “कपिल एक लड़की अपना घर छोड़ कर जब नए घर आती हैं तो  टाइम लगता हैं उसे नए परिवार को अपनाने में,  पर नीलम दिल की बुरी नही हैं और कपिल को रात की घटना बताई”

दीदी आगे बोली “राज़ की बात ये हैं कपिल , ये बहुत हद तक पति पर निभर्र करता हैं कि उसकी पत्नी का नज़रिया कैसे हैं अपने और उसके परिवार को ले कर”

” मैं भी नीलम की तरह ही सोचती थी,  पर धीरे धीरे मेरा नज़रिया दोनों परिवार को लेकर एक समान हो गया, जब तुम्हारे जीजाजी ने मेरे परिवार को अपना लिया, मैंने भी उनके परिवार को अपना लिया”

” छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करके, एक दूसरे को समझ कर आगे बढ़ने का नाम ही गृहस्थी हैं, ये पैसे तुम अपने पास रखो, मैं बस ये देखना चाहती हूँ कि अगली बार नीलम का नज़रिया मेरे और अपनी बहन के लिए एक समान हो”

ट्रेन स्टेशन से छूट रही थी और कपिल धीरे धीरे अपनी दीदी की बातों पर विचार करता हुआ, अपने घर की तरफ चल पड़ा।