(www.arya-tv.com) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे से पहले और बाद तक वहां हिंसा की कई घटनाएं हुईं। कुछ संगठनों ने मोदी की इस यात्रा का विरोध किया। पुलिस के साथ उनकी झड़प में 12 लोग मारे भी गए। अब खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि यह हिंसा विरोध का नतीजा नहीं थी, बल्कि इसके लिए साजिश रची गई थी। इसके पीछे प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी का हाथ था।
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस, मीडिया और सरकारी ऑफिसों पर बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी की गई थी। जमात-ए-इस्लामी ने इसके लिए भारी मात्रा में पैसे बांटे थे, ताकि मोदी की यात्रा के दौरान लॉ एंड ऑर्डर का मुद्दा बनाकर शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठाए जा सकें।
रिपोर्ट में छापेमारी की सिफारिश
रिपोर्ट में जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम के नेताओं के मालिकाना हक वाले सभी होटलों पर छापेमारी करने की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि यदि जरूरी हो तो कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया जाना चाहिए। जमात-ए-इस्लामी की अचल संपत्तियों, अस्पतालों, बीमा, मदरसों, इमारतों में छानबीन की जानी चाहिए। उन्हें सभी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बंद करने के लिए कहना चाहिए।
देश भर में रविवार को हुई झड़पों के सिलसिले में जमात, शिबिर और हिफाजत के 200 नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन पर पुलिस के काम में रुकावट डालने और उस पर हमला करने का आरोप है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि शुक्रवार को ढाका की बैतुल मुकर्रम नेशनल मस्जिद में झड़प के मामले में 600 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जमात ने 60% समर्थकों को ढाका बुलाया था
रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात-ए-इस्लाम के नेताओं ने मोदी की यात्रा के मद्देनजर अपने 60% समर्थकों को राजधानी ढाका आने के लिए कहा था। नतीजतन इस्लामी छात्र संगठन, महिला विंग और इस्लामिक शैडो संगठन (महिलाओं और बच्चों सहित) के मेंबर ढाका आ गए। उन्हें 3 ग्रुप में बांटा गया।
खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि साजिश के मुताबिक जमात के छात्र संघ अध्यक्ष शिबीर के साथ पहले ग्रुप को मोदी विरोधी कार्यक्रमों में शामिल होना था। दूसरे ग्रुप को लेफ्ट शेड संगठन के साथ मोदी विरोधी रैली में शामिल होना था। तीसरे ग्रुप को हिफाजत के 6 इस्लामी राजनीतिक दलों के प्रदर्शन का हिस्सा बनना था।
शेख हसीना की सरकार गिराने की साजिश
इस बीच एक और खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात, हिफाजत और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं। सिविल-सोसायटी के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से ये संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके मकसद का साफ पता चलता है। वे देश की शांति और तरक्की में रुकावट डालना चाहते हैं।
सिविल सोसायटी का कहना है कि जिस तरह से वे लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, वह गलत है। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस दौरान सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ढाका और देश के अन्य हिस्सों में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के सैनिकों को तैनात किया है।