(www.arya-tv.com) लोगों को मोर के बारे में उनकी सुंदरता से ज्यादा पता नहीं रहता है. मोर और मोरनी में अंतर के अलावा कुछ खास समानताएं भी होती है. उनके कुछ बातें हैरान भी करती हैं. इनमें उनके पंखों के साथ उनके नाचने की अजीब बातें भी शामिल हैं.दुनिया के सबसे रंगीन और आकर्षक जानवरों में मोर को जरूर शामिल किया जाएगा. इनके पंख, कलंगी जैसे कई कारण हैं कि मोर बहुत ही सुंदर पक्षी माना जाता है. इतना सुंदर होने के बावजूद बहुत सारे लोग भारत के राष्ट्रीय पक्षी के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. चाहे मोर और मोरनी में अंतर हो, मोर के पंख हों या फिर उनकी कलंगी, उनके जीवन में बदलाव आदि कई बातें चौंकाती हैं.
दुनिया में मोर को केवल खूबसूरती के लिए ज्यादा जाना जाता है. केवल दक्षिण एशिया में पाए जाने वाले मोर भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म में विशेष विशेष स्थान रखते हैं. वैज्ञानिक तक ऐसा मानते हैं कि वे सबसे पहले भारत में विकसित हुए थे. वहीं कांगो बेसिन के मोर वास्तव में मोर ही नहीं होते हैं रोचक बात यह है कि मोर और मोरनी के अंग्रेजी में अलग अलग नाम है. मोर को पीकॉक कहते हैं, तो मोरनी को पीहेन, दोनों के लिए पोफाउल नाम है. अगर आपको लगता है कि खूबसूरत पंखों वाला जानवर मोर और मोरनी दोनों होते हैं तो ऐसा नहीं है. फैले हुए और लंबे पंख केवल मोर के यानी नर के होते हैं.
महीनों तक अंडों में रहने के बाद जब मोर के बच्चे बाहर आते हैं तो शुरू में नर या मादा दोनों ही एक से लगते हैं. यहां तक कि नर यानी मोरों में पंखों का विकास शुरुआती तीन महीनों मे नहीं होता है और तीन साल की उम्र तक आने पर ही वे बड़े और अच्छे दिख पाते हैं. मिलाप के हर मौसम के अंत में मोर के पंख झड़ते हैं और अगले मौसम से पहले फिर ऊग आते हैं.मोर दुनिया के सबसे रंगीन और आकर्षक जानवर माने जाते हैं. इनकी कई विशेषताएं हैं जो उन्हें ऐसी खूबसूरती प्रदान करते हैं जो बेजोड़ है.
मोर की कलंगी की मोरनी को आकर्षित करने में बहुत बड़ी भूमिका होती है. नर और मादाओं दोनों में ये कलंगी ताज की तरह दिखती है. देखने में आता है कि मोरनी की कलंगी ज्यादा सुंदर और आकर्षक होती है. ये कलंगी एक तरह का सेंसर भी होती है. जब मोर अपने पंख तेजी से हिलाते हैं तो नर और मादा, दोनों कलंगी के जरिए भावनाओं को महसूस करते हैं मोरनी के बारे में एक रोचक तथ्य यह है कि वे अधिक उम्र में मोर की तरह पंख विकसित करने लगती हैं और उनकी आवाज भी मोर की तरह होने लगती हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब मोरनी की उम्र अधिक हो जाती है तो उनकी ओवरी एस्ट्रोजन बनाना बंद कर देती है. इससे वे मोर की तरह दिखने और सुनाई देने लगती हैं.
दुनिया में बहुत कम संख्या में ऐसे मोर भी हैं जो पूरी तरह से सफेद होते हैं. चुनिंदा प्रजनन की वजह से यह गुण आज के मोरों में अधिक दिखता है. उनमें रंगहीनता का गुण तो नहीं होता है. कई सफेद मोरों में ल्यूसिज्म जैसी जेनेटिक कंडीशन से उनके पंखों का रंग चला जाता है. सफेद मोरों की संख्या बहुत कम है.मोर उड़ सकते हैं इसके लिए वे अपनी पूंछ का उपयोग करते हैं. वे केवल कम दूरी तक ही उड़ पाते हैं. वे करीब 8 फुट से अधिक नहीं उड़ पाते हैं. दिन भर में भी वे करीब 300 फुट से ज्यादा नहीं उड़ते हैं. इस वजह से उन्हें उड़ते हुए ज्यादा देखा नहीं जाता है मोरों को बारे में कहा जाता है कि वे बरसात में नाचते हैं. सच यह है कि ये केवल संयोग हैं. बरसात का मौसम उनके मिलाप का मौसम होता है और वे मिलाप के लिए मोरनी को आकर्षित करने के लिए नाचते हैं. मोरनी को आकर्षित करने के लिए वे अपनी आवाज का भी इस्तेमाल करते हैं.