उप मुख्यमंत्री व पूर्व मेयर डॉ.दिनेश शर्मा वादा निभा न पाये

Lucknow

नगर निगम लखनऊ कागज की नाव

डॉ.अजय शुक्ला
(ARYA TV LUCKNOW )पुरानी कहावत कही गयी है न “बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपैया” यही हाल हमारे लखनऊ नगर निगम के वित्त विभाग का है। जिसपर पूरे नगर निगम की साख टिकी हुई है। कोई भी वित्त अधिकारी यहां यह सोच कर आता है कि अन्य विभागों की तरह रोटीन काम करके घर चले जायेंगे और कुछ आराम तो मिल ही जायेगा पर शायद आराम शब्द “दूर के ढोल सुहाने” कहावत जैसी लगती है। दिन हो रात, सुबह हो शाम, जब फोन की घण्टी बजती है तो कुछ मिनट हाल चाल पूछने के बाद भुगतान की सिफारिश की बात होती है। इतना फोन तो मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात अधिकारियों के पास ही आता होगा।

यही हाल इस विभाग में तैनात नगर आयुक्त डॉ.इन्द्र मणि त्रिपाठी का भी है उनकी दिनचर्या में भी ऐसा भी होता है पर बात की गहराई में जाकर सोचा जाए तो मुझे यह कहने में जरा भी कष्ट नहीं होगा कि पूर्व में कई वर्षों से मेयर की कुर्सी संभालने वाले डाॅ.दिनेश शर्मा आज उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ कर भी यहां की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं कर सकते, यह उनकी मजबूरी हो सकती है या हमारे के नेताओं के प्रयास में कमी, जो यहां के प्रधान जनप्रतिनिधि हैं। इस खराब वित्तीय स्थिति में हमारे ठेकेदार जैसे-तैसे शहर के विकास कार्यों को चमकाने में लगे हैं पर उनका दर्द कोई सुनने वाला नहीं है। हमारे नगर निगम के जिम्मेदार प्रतिनिधि और कर्मचारी नेता अगर कभी नगर निगम की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए हड़ताल करते या कोई सख्त कदम उठाते तो आज स्थिति कुछ और होती।

केन्द्र और प्रदेश में भाजपा सरकार होते हुए भी आज नगर निगम कर्ज पर ही अपने सांसे गिन रहा है, यह बहुत ही शर्म की बात हैं। हमारे इस विभाग के मंत्री भी कई बार के विधायक रह चुके कभी भाजपा सरकार बनते समय बातों—बातों में मुख्यमंत्री के दावेदार नगर विकास कैबिनेट मंत्री श्री सुरेश खन्ना भी नगर निगम को इस समस्या से निकाल नहीं पाये। इसका सबसे बड़ा कारण हमारे नगर निगम प्रधान प्र​तिनिधियों की अकर्मण्यता है। उनका तो काम चल ही रहा है। फिर क्या सोचना सब सही तो है। लोकसभा के चुनाव का बिगुल बज चुका है विकास कार्यों का होना जरूरी है। इसलिए प्रतिदिन विकास कार्यों की रूपरेखा तय की जाती है।

इंजीनियरिेंग विभाग के अधिकारी तो जुगाड़ से इधर की टोपी उधर पहनाकर काम तो करवा ही लेते हैं, चाहे ठेकेदार का घर ही बिक क्यों न जाये। दीपावली का त्यौहार आने वाला है अब देखना है कि नेता और अधिकारियों के घर तो मिठाईयों का ढेर तो लगेगा पर ठेकेदारों के घर तेल का दीपक जलेगा कि नहीं।

इस पूरे मामले पर जब नगर निगम के मुख्य वित्त लेखाधिकारी महामिलिंद लाल से फोन पर बात करने की कोशिश की गयी तो फोन नहीं उठा। शायद मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से कहा है मैं तो 24 घण्टे काम करूंगा पर तुम फोन न उठाना।

डॉ.अजय शुक्ला
राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार
लखनऊ 9235706144