- बाबा साहब ने भारत को सोचने की आज़ादी दी” – नीरज सिंह
लखनऊ। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती की पूर्व संध्या पर राजधानी लखनऊ स्थित के. डी. सिंह बाबू स्टेडियम से “डॉ. अंबेडकर मैराथन” का आयोजन बड़े ही उत्साह और सामाजिक सौहार्द के साथ किया गया। यह मैराथन केडी सिंह बाबू स्टेडियम से शुरू होकर 1090 चौराहे पर सम्पन्न हुई, जहाँ समापन समारोह आयोजित किया गया।
करीब ढाई हजार प्रतिभागियों ने इस आयोजन में भाग लिया। दौड़ में प्रथम, द्वितीय, तृतीय चौथ तथा पांचवें स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों को मेडल प्रदान किए गए, जिससे उनका उत्साह और बढ़ा।
- बाबा साहब का जीवन सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण की मिसाल” – धर्मपाल सिंह
प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की 135वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा साहब का जीवन संघर्ष, संकल्प और समर्पण का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने न केवल समाज के वंचित वर्गों को अधिकारों की मुख्यधारा से जोड़ा, बल्कि भारत को एक सशक्त, समतामूलक और लोकतांत्रिक गणराज्य की दिशा दी। उनका विचार केवल संविधान तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता का आधार स्तंब है।
धर्मपाल सिंह ने यह भी कहा कि आज आवश्यकता है कि हम बाबा साहब के विचारों को व्यवहार में उतारें और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर “एक भारत, समरस भारत” के संकल्प को साकार करें।
इस प्रेरणादायी मैराथन का उद्देश्य समाज में समता, एकता और सामाजिक न्याय की भावना को बल देना था। आयोजनकर्ता नीरज सिंह ने कहा कि बाबा साहब ने हमें संविधान ही नहीं, सोचने की आज़ादी भी दी। ये मैराथन उनके संघर्षों और विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का हमारा छोटा सा प्रयास है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, राज्यसभा सांसद बृजलाल, एमएलसी मुकेश शर्मा, रामचंद्र सिंह प्रधान, विधायक नीरज बोरा, योगेश शुक्ला लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल,बीबीएयू की आई टी विभाग की विभागाध्यक्ष कैप्टन डॉ. राजश्री शुक्ला समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। सभी ने बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करते हुए इस आयोजन की सराहना की और इसे सामाजिक जागरूकता की दिशा में एक सशक्त कदम बताया।
“एक भारत, समरस भारत” के संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ यह आयोजन बाबा साहब के विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।