परिवहन मंत्री के निर्देश के बाद भी परिवहन निगम की बसों का रखरखाव ढर्रे पर नहीं आया है। ठंड शुरू हो गई है तो कोहरा भी दस्तक देने को तैयार है। लेकिन रोडवेज बेडे़ की कई बसें आज के लिए तैयार नहीं दिख रही हैं। किसी बस में सड़क पर संचालन के वक्त कोहरे से राहत के लिए आल वेदर बल्ब (एक प्रकार की फॉग लाइट) नहीं है तो किसी में आगे का ही शीशा टूटकर गिर गया है। कई दिन हो गए लेकिन कार्यशाला में इसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। यही नहीं कई बसों में खिड़कियों के शीशे टूटे मिले तो कई ऐसे जाम हैं की ठोंकने पर अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं। और तो और कुछ बसों में तो इमरजेंसी गेट पर ही सीट तक लगा दी गई है।
-दृश्य एक: चारबाग डिपो में खड़ी प्रतापगढ़ डिपो की बस (संख्या यूपी 72 एटी 0414) सवारी भर रही थी, मगर उसमें न तो फाग लाइट लगी थी और न ही शीशे खिसकाने की रिपिड उसमें थे। नतीजा उसे कसकर ठोंकने के बावजूद वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रहे थे।
-दृश्य दो: चारबाग में आई प्रतापगढ़ डिपो की एक बस (संख्या यूपी 72 टी 8403) पूरी तरह से जर्जर मिली। बाडी गलने की ओर थी। इंजन स्टार्ट करते ही पूरी बस कांपती नजर आई। बस चालक के मुताबिक, यह बस इसी हालत में कई वर्षों से सड़कों पर दौड़ रही है।
-दृश्य तीन: यूपी 32 एलएन 1649 बस में चालक साइड का ही शीशा टूटा मिला। इस वजह से न केवल सामने से आने वाली रोशनी से सफर में खतरा पैदा होता है, बल्कि ठंडी हवा सीधे चालक को लगती है, जिससे ड्राइविंग में भी खतरा बना रहता है। चालक भी अपने पूरे शरीर को लपेट कर बस संचालन करता मिला।
-दृश्य चार: यूपी 36 टी 7936 (अमेठी डिपो) और यूपी 33 एटी 4214 (रायबरेली डिपो) की बसों के फ्रंट के शीशे ही नहीं थे। ऐसे में सामने से आने वाली गाड़ियों की हेडलाइट से विजिबिलिटी प्रभावित होती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। बावजूद इसके बस को दुरुस्त नहीं कराया जा सका।
