नंबर नहीं थे साथ, पब्लिक सेंटिमेंट की भी हो रही थी बात, फिर कैसे बाजी मार गए शिंदे-फडणवीस?

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(www.arya-tv.com) हाल के लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, महाराष्ट्र द्विवार्षिक विधान परिषद चुनावों के परिणामों ने एक बार फिर बाजी पलट दी है. NDA के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 11 में से सभी नौ सीटों पर जीत हासिल की है. MLC चुनाव में शिंदे-फडणवीस की जोड़ी ने बाजी मार ली है. भाजपा की पंकजा मुंडे सहित महायुति गठबंधन के सभी नौ उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं.

इसी तरह, MVA गठबंधन से शिवसेना (UBT) के मिलिंद नार्वेकर और कांग्रेस से प्रज्ञा सातव चुनाव जीत गए, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) समर्थित पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (PWUP) के जयंत पाटिल चुनाव हार गए. गौरतलब है कि विधान परिषद की 11 सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में थे, जिसके चलते इस बात पर बहस चल रही थी कि कौन बाजी मारेगा. लेकिन हार का खामियाजा जयंत पाटिल को भुगतना पड़ा.

क्या कांग्रेस के वोट बंटने से शिंदे-फडणवीस को हुआ फायदा?
अभी तक सामने आए वोटों के आंकड़ों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस के सात वोट बंटे हैं. कांग्रेस के पास कुल 37 विधायक हैं. इनमें से 25 विधायकों ने अपनी पहली वरीयता के वोट प्रज्ञा सातव को दिए, जिससे साबित होता है कि कांग्रेस के 12 पहली वरीयता के वोट अतिरिक्त थे. माना जा रहा है कि कांग्रेस के वोट बंटने से ही शिंदे-फडणवीस की जोड़ी को फायदा मिला है.मिलिंद नार्वेकर को 22 प्रथम वरीयता वोट मिले, जबकि उद्धव सेना के पास केवल 15 सदस्य हैं. अगर कांग्रेस ने बाकी सात वोट भी जोड़ दिए तो पांच वोटों का सवाल रहस्य बना हुआ है. इस बीच, जयंत पाटिल को 12 प्रथम वरीयता वोट मिले, जो एनसीपी (एसपी) गुट के थे.