पेन किलर कर रहा किडनी को डैमेज:कम उम्र के लोग आ रहे चपेट में

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(www.arya-tv.com)   यूपी ही नही देशभर में किडनी ट्रांसप्लांट के बेस्ट सेंटर में से एक SGPGI लखनऊ में 25 सालों तक लगातार सेवा देने वाले और 1500 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन करने वाले प्रो.अनीश श्रीवास्तव कहते हैं कि किडनी फेल होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। संभव हैं कि हर पेशेंट में अलग कारण भी हो।

इनमें जो कुछ बड़े कारण हैं, उनमें से –

– मेडिकल रीजन यानी शरीर की संरचना और मेटाबोलिक वर्किंग (क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राईटिस)

– डायबिटीज या अनकंट्रोल बीपी या फिर दोनों का होना।

– किडनी में स्टोन या फिर किसी अन्य इन्फेक्शन होने पर की गई सर्जरी के बाद भी कई बार किडनी डैमेज होने की शिकायत आती हैं।

– पेन किलर या कुछ विशेष दवाईयों के सेवन से।

– कंजेनिटल यानी जन्मजात कारणों से भी किडनी फेल हो सकती हैं।

– लाइफ स्टाइल में बदलाव और इससे जुड़ी समस्याओं के कारण भी कम उम्र के लोगों में किडनी डैमेज होना पाया गया हैं।

अब जान लीजिए किडनी डैमेज होने के संभावित लक्षण

– फेस में सूजन आना,

– पैरों में सूजन,

– कमजोरी लगना,

– हीमोग्लोबिन में कमी

अब कैसे खुद को किडनी की बीमारी से दूर –

नियमित व्यायाम करें

डॉ.अनीश श्रीवास्तव कहते हैं कि हमेशा स्वस्थ रहने के लिए रोजाना व्यायाम करने की सलाह देते हैं। संतुलित आहार लेना भी जरूरी है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना व्यायाम करें। इससे हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। यह मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाता है।

खूब सारा पानी पियें

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यह शरीर को हाइड्रेट भी रखता हैं। यह किडनी के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए रोजाना कम से कम 3 लीटर पानी पिएं।

अधिक दर्दनिवारक दवाएं न लें

दवा के ओवरडोज से किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। अक्सर लोगों को सामान्य सिरदर्द और थकान के लिए दर्द निवारक दवाओं का सहारा लेते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। बहुत अधिक जरूरत न हो तो दवा बिल्कुल न लें।

डॉ. अनीश कहते हैं कि दर्द से झटपट राहत दिलाने वाली दवाएं भविष्य में काफी खतरनाक साबित होती हैं। लंबे समय से जो व्यक्ति दर्द से आराम मिलने वाली किसी भी दवाएं खाता है तो इसका असर किसी न किसी बॉडी ऑर्गन पर जरूर पड़ता हैं। छोटी छोटी चीजों पर मौजूदा समय में लोग दवा का सेवन कर लेते हैं।

अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं जिनके हाथ पैर में काफी दर्द होता हैं। वायरल फ्लू के कारण ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ गई हैं जिस समय पर वायरल फ्लू फैला था। उस समय मरीज की रिपोर्ट नॉर्मल आ रही थी, लेकिन सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के थे। ऐसे में जितने भी मरीज वायरल फ्लू की चपेट में आए उनको इस तरीके समस्या हो रही हैं। ऐसे में वह मरीज दर्द से आराम पाने के लिए बिना डॉक्टर के परामर्श के कॉन्बिफ्लेम, क्रोसिन व नाइस जैसी अनेक दर्द से झटपट राहत देने वाली मेडिसिन का सेवन कर लेते हैं। यह दवाएं भले ही दर्द से काफी राहत देती हैं, लेकिन इन दवाइयों का असर काफी खतरनाक होता हैं। अस्पताल में रोजाना दो से तीन के ऐसे आते हैं। जिनको इन दवाइयों का रिएक्शन हुआ होता हैं।

किसी भी दवा के साथ एंटीबायोटिक इसलिए दिया जाता है ताकि वह जो दवा खा रहा है उसका रिएक्शन थोड़ा कम हो जाए। मरीज को पेट में जलन, एसिडिटी, उलझन जैसी समस्या न हो। ऐसे में बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के दवा नहीं लेनी चाहिए। अगर हाथ पैर में भी दर्द हो रहा है तो पहले डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का ही सेवन करने की कोशिश करें। इसके अलावा दर्द की दवा कितनी मात्रा में लेनी है, यह पूरी तरह से रोगी के वजन, लिंग, आयु और पिछले चिकित्सकीय इतिहास पर निर्भर करता हैं। यह खुराक मरीज की परेशानी और दवा देने के तरीके पर निर्भर करती हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रभाव मध्यम होता हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इस दवा का प्रभाव मध्यम हैं। लंबे समय तक अगर कोई व्यक्ति दर्द की दवा खाता है तो इसका असर लिवर, हार्ट और किडनी पर पड़ता हैं। अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी, रक्तस्राव, गुर्दे की बीमारी जैसी कोई समस्या हैं। तो उसे दर्द की दवा नहीं लेनी चाहिए।