लखनऊ अग्निकांड के पीड़ितों की आपबीती:तिनका-तिनका जोड़कर बनाया था आशियाना, मगर एक चिंगारी ने सबकुछ राख कर दिया

Lucknow

(www.arya-tv.com)रविवार आधी रात राजधानी लखनऊ ऐशबाग स्थित झुग्गी झोपड़ियों में लगी आग का मंजर जिसने भी देखा वह सिहर उठा। कोई यहां 30 साल से रह रहा था तो किसी ने 40 साल की मेहनत से पाई-पाई जोड़कर गृहस्थी जुटाई थी। लेकिन, भड़की एक चिंगारी से सभी अरमान राख हो गए। आग की लपटों से तो लोगों ने बचाकर जान बचा ली, लेकिन जिंदगी भर की कमाई उजड़ चुकी थी। जब आग की लपटें शांत हुई तब सुबह हाथों पर हाथ रखे लोग जले सामानों को डबडबाई आंखों से देखते नजर आए।

ऐशबाग रामलीला मैदान और ईदगाह के पास 40 साल पहले तक एक तालाब हुआ करता था। धीरे धीरे यहां लोगों ने झोपड़ी बना ली और रहने लगे। वर्तमान में यहां करीब 400 परिवार झोपड़ी बनाकर रहता है। यहां पर हर धर्म के लोग रहते हैं। कोई सिलाई का काम करता है तो कोई ठेला चलाकर परिवार का भरण पोषण करता है। लेकिन रविवार रात अचानक लगी आग में करीब 15 झोपड़ी जलकर राख हो गई। आग कैसे लगी, यह अभी रहस्य है। लोग खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। उनके पास न पहनने को कपड़ा है न ही खाने के लिए रोटी का इंतजाम। अब आगे की जिंदगी कैसे गुजरेगी? यह सोचकर लोगों का दिल बैठा जा रहा है। महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल है।

पीड़ित परिवारों की कहानी, उनकी जुबानी.

  • रामकेवल 30 सालों से यहां परिवार के साथ रहते हैं। वे बताते हैं कि आग लगने पर शोर शराबा होने पर नींद खुली। पत्नी को जगाया। देखा कि लपटें मेरे घर की तरफ आ रही थीं। दोनों बच्चों को लेकर मैं बाहर भागा। कुछ ही पलों में हमारी आंखों के सामने सब कुछ जल गया। अब हमारे पास कुछ नहीं है। सरकार कुछ मदद करेगी, यही उम्मीद है। नहीं करेगी तो अपने बूते कुछ बनाया जाएगा।
  • करीब 25 सालों से यहां रह रहे पप्पू ठेला चलाकर जीवन यापन करते थे। परिवार में दो एक लड़का और एक लड़की पत्नी है। पप्पू बताते हैं कि मैं जब सोकर उठा तो देखा कि बगल वाले घर जल रहा था। मैं अपने परिवार के साथ बाहर भागा। पहनने को कपड़े भी नहीं बचा है। मदद के नाम पर सब मौखिक बात करके चले गए।
  • अब एक जिंदगी जीने के लिए मदद का सहारा है।सिलाई का काम करने वाली शाहरुन का कहना है कि परिवार में आठ बच्चे हैं। रात में एक बच्चा विकलांग था, उसकी निकालने में समय लगा। जिससे उसे चोटें आई हैं। अब सब कुछ जल गया। रुपए-पैसा और बर्तन चूल्हा सब जल गया। अब कोई सहारा नहीं है। परिवार को कैसे पालेंगे? इस मुश्किल घड़ी में समझ में नहीं आ रहा है।