गोरखपुर से रवि किशन या मालिनी अवस्थी किसे मिलेगा टिकट, जानें क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट

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(www.arya-tv.com) गोरखपुर में लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने काजल निषाद को मैदान में उतारा है. वे आखिर इस चुनाव में क्‍यों दमखम दिखा रही हैं. इसकी वजह क्‍या है. भाजपा की पहली संभावित लिस्‍ट में गोरखपुर से मौजूदा सासंद रवि किशन का नाम तो है, लेकिन अंत‍िम लिस्‍ट में उनके नाम पर मुहर लगेगी. ऐसा है तो फिर गोरखपुर में भाजपा से लोक गायिका मालिनी अवस्‍थी के नाम को लेकर चर्चा क्‍यों हो रही है. इस पर क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट.?

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के रक्षा एवं स्‍त्रातजिक अध्‍ययन विभाग के प्रोफेसर डा. हर्ष कुमार सिन्‍हा पॉलिटिकल एक्‍सपर्ट होने के साथ ही पत्रकारिता से भी जुड़े हुए हैं. राष्‍ट्रीय और पूर्वी यूपी की राजनीति के पारखी प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्‍हा कहते हैं कि गोरखपुर की राजनीति की बात करें तो ये सही है कि लोकसभा चुनाव की दृष्टि से देखा जाए तो गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर को सांसद का पता कहा जाता है. यानी गोरखपुर लोकसभा सदर सीट से जो भी सांसद होगा, उसे मंदिर का आशीर्वाद प्राप्‍त होगा. ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि 1989 से अभी तक 2018 के उप चुनाव को छोड़कर इस सीट से ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ चार बार और फिर योगी आदित्‍यनाथ लगातार पांच बार सांसद रहे हैं.

29 साल तक सांसद का पता रहा है गोरखनाथ मंदिर 

डॉ. हर्ष कुमार सिन्‍हा कहते हैं कि 28-29 साल तक गोरखपुर के सांसद का पता गोरखनाथ मंदिर रहा है. संघ के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. इसके साथ ही ये राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ और हिन्‍दू राजनीतिक दलों के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. पिछले दो-तीन दशक में भाजपा के क्रमिक विकास का दौर था, उसमें एक बड़ी भूमिका गोरखनाथ मंदिर की रही है. एक सबसे मजबूत सरकार की खासियत ये है कि सब कुछ अनिश्‍चितताओं में रहा है. ऐसे सरप्राइज देने वाली भाजपा की सरकार से इस तरह की उम्‍मीद की जा रही है. परम्‍परागत नामों के अलावा कोई नाम आ जाता है. राष्‍ट्रपति, उप राष्‍ट्रपति और मुख्‍यमंत्री के चुनाव में भी इसे देखा गया है.

वह कहते हैं कि रवि किशन का दावा मजबूत है.  गोरखपुर के साथ संसद में अच्‍छी मौजूदगी के साथ पॉपुलर स्‍टार होने की वजह से उन्‍हें फुल मार्क्‍स मिलते हैं. भाजपा के चौंकाने वाली शैली से बात करें, तो कुछ दिन पहले से मालिनी अवस्‍थी के नाम की चर्चा भी है. वे गोरखपुर में लंबा समय बिता चुकी हैं, उनकी यहां आवाजाही भी है. गोरखपुर सीट का कैरेक्‍टर में मंदिर का प्रभाव, भाजपा का गढ़ है, तो सांस्‍कृतिक और सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी रहने वालों के नाम आगे आ सकते हैं लेकिन ये देखना होगा कि भाजपा का चयन क्‍या है.

काजल निषाद के सामने बीजेपी किस पर लगाएगी दांव

ऐसे में काजल निषाद के सामने भाजपा द्वारा किसी महिला को उनके सामनेखड़ा करने की चर्चा भी लोगों के बीच में है. इसमें मालिनी अवस्‍थी का नाम सबसे ऊपर है. इसकी वजह भी साफ है क्‍योंकि उन्‍होंने गोरखपुर के लोगों के बीच लंबा समय गुजारा है और यहां के लोगों के बीच उनकी अच्‍छी साख है. ऐसे में ये देखना दिलचस्‍प होगा कि भाजपा की उम्‍मीदों पर कौन खरा उतरता है. वह कहते हैं कि पिछले विधानसभा और अन्‍य चुनाव में भाजपा की पॉलिसी चौंकाने वाली रही है.

विधानसभा चुनाव में भाजपा शीर्ष नेतृत्‍व में मुख्‍यमंत्री के चेहरे को लेकर लोगों को चौंकाया. ऐसे में भाजपा इस पॉलिसी के तहत टिकट को लेकर काम करती है, तो ये कहा जा सकता है कि ये कई सिटिंग एमपी के लिए खतरे की घंटी है. लेकिन ये अभी तब तक भविष्‍य के गर्त में है, जब तक भाजपा नामों की घोषणा नहीं करती है. महिला के सामने उनके प्रभाव को कम करने के लिए महिला का चेहरा लाने का तर्क में बहुत दम नहीं दिखता है. इसकी कोई जरूरत नहीं दिखती है. भाजपा नेतृत्‍व चेहरे बदलने की परम्‍परा पर चला तो ऐसा हो सकता है.

PDA पर क्या है एक्सपर्ट की राय?

गोरखपुर सीट नानाजी देशमुख के जमाने से और मंदिर आंदोलन में शीर्ष नेतृत्‍व महंत अवेद्यनाथ के रूप में रहा है. ये भाजपा और हिन्‍दूवादी राजनीति के लिए गहरे प्रभाव का क्षेत्र है. ये बड़ा मौका रहा है, मंदिर के लिए जिस संघर्ष के लिए चार-पांच पीढ़ी पहले के नेतृत्‍व में अब मंदिर का पीठाधीश्‍वर और मंदिर के उपलब्धियों में जुड़ता है. तो इसका फायदा मिलेगा. अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले को लेकर उन्‍होंने कहा कि इस समय देश की राजनीति का परिदृश्‍य है, वो भाजपा के वर्चस्‍व और बनाम अन्‍य का चुनाव है.

राजनीतिक चुनाव का इतिहास बताता है कि जब भी कोई मजबूत पार्टी की सरकार बनती है. ऐसा कांग्रेस के खिलाफ भी हो चुका है. कांग्रेस की सरकार थी तो भी एलायंस बनते थे. भारतीय परिदृश्‍य में जातीय और वर्ग की अस्मिता की पहचान बहुत गहरी है. जब भी कोई विपक्षी दल कहीं भी सत्‍ता बदलने की कोशिश में अपने पर खोलने की कोशिश करता है तो अखिलेश यादव भी ऐसा ही कांबिनेशन क्‍या परिणाम देता है. ये तो आने वाला चुनाव का रिजल्‍ट ही बताएगा.

उनके मुख्‍यमंत्री बनने के बाद साल 2019 के चुनाव में इस सीट पर चुनाव जीतकर सांसद बनने वाले अभिनेता रवि किशन भी गोरखनाथ मंदिर और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का आशीर्वाद प्राप्‍त है. वे कह‍ते हैं कि संसद में भी उनकी सर्वाधिक उपस्थिति और गोरखपुर के हर कार्यक्रम और विकास के मुद्दों के साथ जनता के हित के मुद्दों को सदन में उठाने से उन्‍होंने जनता के बीच अच्‍छी पैठ बनाई है. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका नाम तो चल रहा है. लेकिन गोरखपुर में क्‍योंक‍ि काजल निषाद लगातार सपा से हर चुनाव में जनता के बीच बनी हुई है और पूरी दमदारी के साथ हर चुनाव लड़ रही हैं.