योगी सरकार फिर कठघरे में cji किसी और एजेंसी को सौंप सकती है लखीमपुर कांड की जांच

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(www.arya-tv.com)लखीमपुर हिंसा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में तीसरी सुनवाई होगी। CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ UP सरकार की अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं है। योगी सरकार की कार्यप्रणाली से नाखुश पीठ किसी और एजेंसी को जांच सौंप सकती है आज सुनवाई के बाद दूसरी एजेंसी को जांच सौंपी जा सकती है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई (26 अक्टूबर) के दौरान योगी सरकार को हिंसा के गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया था और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और BJP नेता श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर भी अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यूपी सरकार से कई सवाल भी किए थे।

माँगी गयी जानकारियों को ले कर  UP सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए हैं। इनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं। कुछ बाकी हैं, जिनका बयान होना है। इसके बाद बेंच ने पूछा कि लखीमपुर में रैली के दौरान हजारों किसान मौजूद थे और आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले? हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर यह मांगा है कि जो भी चश्मदीद हैं, वे सामने आएं।

साल्वे ने पूछा था कि क्या हम आपको सीलबंद लिफाफे में गवाहों के कुछ दर्ज बयानों के बारे में दिखा सकते हैं? हम अदालत को अगली बार ब्योरा देंगे   इस पर । CJI ने कहा कि गवाहों की सुरक्षा का भी एक मुद्दा है। साल्वे ने कहा कि उनको सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है।

पहले भी नाराज था कोर्ट

20 अक्टूबर को UP सरकार के वकील हरीश साल्वे ने जांच रिपोर्ट दाखिल की थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा था, ‘अगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए। अदालत ने यह भी पूछा कि इस मामले में UP सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए? कोर्ट ने कहा कि आपने 44 में से अभी तक 4 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों? ऐसा लगता है कि UP पुलिस इस मामले की जांच से पीछे हट रही थी। इस छवि को सुधारिए।

कोर्ट ने आगे कहा कि आपकी SIT यह समझ सकती है कि सबसे कमजोर गवाह कौन-से हैं और उन पर हमला हो सकता है, तो फिर अभी तक सिर्फ 4 गवाहों के ही बयान दर्ज क्यों किए गए’?