कानपुर चिड़ियाघर में बाघिन त्रुशा की मौत:सबसे ज्यादा 14 शावकों को दिया था जन्म

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(www.arya-tv.com) कानपुर चिड़ियाघर में दर्शकों को अब बाघिन त्रुशा की दहाड़ नहीं सुनाई देगी। लंबे समय से बीमार चल रही त्रुशा (19.5 वर्ष) ने चिड़ियाघर स्थित अस्पताल परिसर में मौत हो गई। बाघिन ने चिड़ियाघर में सात साल में 14 शावकों को जन्म दिया था। देश में बाघों की जनसंख्या बढ़ाने में चिड़ियाघर का नाम त्रुशा की वजह से ही जाना जाता है।

ढाई वर्ष ज्यादा उम्र तक जीवन जीया
बाघिन का आज चिड़ियाघर के अधिकारियों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया जाएगा। 6 साल से यहां पर एक भी बाघिन शावक को जन्म नहीं दे सकी है। चिड़ियाघर के डॉक्टरों के मुताबिक बाघ की औसतन उम्र 16 से 17 साल होती है। हालांकि बाघिन त्रुशा ने तय उम्र से करीब ढाई साल अधिक जीवन जीया।

कैंसर को नहीं दे सकी मात
दिसंबर 2022 में बाघिन की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। इसके बाद डॉक्टर अस्पताल परिसर में रखकर इलाज कर रहे थे। डॉक्टर की जांच में मुंह में कैंसर निकला था। उसके जबड़े का ऊपरी हिस्सा धीरे-धीरे गल चुका था। रविवार सुबह खाना नहीं खाया था। सोमवार दोपहर को उसने दम तोड़ दिया।

बाघिन त्रुशा की कहानी
साल 2010 में फर्रुखाबाद के जंगल से बाघिन त्रुशा और बाघ अभय को लाया गया था। 2017 तक दोनों की मेटिंग से 10 शावकों ने जन्म लिया था। इसके बाद पीलीभीत के जंगल से पकड़कर लाए गए आदमखोर बाघ प्रशांत और त्रुशा की मेटिंग कराई गई तो 2017 में चार शावकों का जन्म हुआ। इनका नाम अमर, अकबर, एंथोनी और अंबिका रखा गया।

अदला-बदली स्कीम के तहत जोधपुर चिड़ियाघर में अंबिका, एंथोनी को भेज दिया गया था। अमर को गोरखपुर भेजा गया था। साल 2018 में अकबर की मौत हो गई थी। इसके बाद ये जोड़ी टूट गई। अब चिड़ियाघर में 10 बाघ हैं, जिनमें चार नर और छह मादा हैं, लेकिन एक भी मादा शावकों को जन्म नहीं दे सकी है।

पोस्टमार्टम के बाद होगा अंतिम संस्कार
चिड़ियाघर में तैनात रेंजर नावेद इकराम के मुताबिक, त्रुशा ने अपनी औसतन उम्र से ज्यादा जीवन जीया। काफी बुजुर्ग थी। मुंह में कैंसर था, उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।