जियो-एयरटेल का सरकार से सवाल:OTT और मोबाइल टेलीफोनी में ज्यादा फर्क नहीं, फिर नियम अलग क्यों?

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(www.arya-tv.com) रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने सरकार से सभी तरह की सेवाओं के लिए एक जैसे नियम-कानून की मांग की है। इनमें ओटीटी शामिल है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि ऐसा होता है तो वॉट्सएप कॉल समेत ढेरों ऐसे फीचर्स महंगे हो जाएंगे, जो अभी फ्री हैं।

टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि वॉट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, स्काइप जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और मोबाइल टेलीफोनी के बीच ज्यादा फर्क नहीं है, लिहाजा उन पर भी समान रेगुलेशंस लागू होने चाहिए। अभी देश में टेलीफोनी सर्विस के लिए कंपनियों को लाइसेंस लेना पड़ता है, जबकि ओटीटी प्लेटफॉर्म इंटरनेट से चलते। उन्हें सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ती।

टेलीकॉम बिल के ड्राफ्ट ने दिया कंपनियों को मौका
दूरसंचार विभाग ने हाल ही में ‘इंडियन टेलीकॉम बिल 2022’ का ड्राफ्ट जारी किया है। इस पर दूरसंचार नियामक ट्राई से 20 अक्टूबर तक सुझाव मांगे गए हैं। इसमें ओटीटी को टेलीकॉम लाइसेंस के तहत लाने का प्रस्ताव है। यही ड्राफ्ट अमल में आ गया तो सभी इंटरनेट आधारित कॉलिंग एप लाइसेंस फीस के दायरे में आएंगे। भारती एयरटेल के चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर राहुल वत्स ने इसका समर्थन किया।

किसी भी देश में नहीं है ऐसी व्यवस्था
टेलीकॉम ऑपरेटर इस इंडस्ट्री में ‘समान सेवा-समान नियम’ का सिद्धांत लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग एप को भी टेलीकॉम कंपनियों के बराबर लाइसेंस फीस चुकाना चाहिए। लेकिन किसी भी देश में ऐसी व्यवस्था नहीं है।

ओटीटी लाइसेंस के दायरे में आने पर क्या होगा?
वॉट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, स्काईप जैसे सभी प्लेटफॉर्म का परिचालन खर्च बढ़ जाएगा। इसकी वसूली वे यूजर से करेंगे। ऐसे में यूजर को टेलीकॉम कंपनियों के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी पेमेंट करना होगा।

टेलीकॉम कंपनियां क्यों लागू कराना चाहती हैं समान नियम?
उन्हें आय की चिंता है। अभी यूजर इंटरनेशनल कॉल वॉट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म से कर लेते हैं। इसके लिए अतिरिक्त टैरिफ नहीं चुकाना पड़ता है। यदि ये प्लेटफॉर्म पेड होंगे तो इनका इस्तेमाल घटेगा और टेलीकॉम कंपनियों को फायदा होगा।

टेलीकॉम इंडस्ट्री पर क्या हो सकता है?
दोहरे खर्च से बचने के लिए लोग ओटीटी का इस्तेमाल कम करेंगे। ऐसे में डेटा यूजेज कम हो जाएगा। इसका सीधा असर टेलीकॉम कंपनियों की आय पर होगा। मौजूदा बिजनेस मॉडल में उन्हें सबसे ज्यादा आय डेटा से ही होती है।