जौनपुर में मायावती ने बदला प्रत्याशी, आखिरी पलों में बदले सीट के समीकरण

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और अब यहां की चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। बसपा ने यहां आखिरी मौके पर अपना उम्मीदवार बदलकर इस सीट के समीकरण बदल दिए हैं। अब यहां की जंग भाजपा, सपा और बसपा के बीच हो गई है। इस सीट पर लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई यानी आगामी शनिवार को मतदान होना है। समझिए इस सीट के सभी समीकरण।

मायावती की बसपा ने जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन ऐन मौके पर उनका नाम वापस ले लिया गया और पार्टी ने अपने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को टिकट दे दिया। पत्नी का टिकट कटने के बाद धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया जिसने चुनावी जंग और रोचक कर दी। भाजपा ने यहां के कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है तो सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है।

कुछ ऐसे हुआ जौनपुर लोकसभा सीट पर खेल

कुशवाहा पहले बसपा में थे और ओबीसी समुदाय से आते हैं। मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए वह उनकी कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। वहीं, 2 बार विधायक रहे धनंजय सिंह ने 2009 के चुनाव में इस सीट से जीत हासिल की थी। लेकिन इस साल एक कोर्ट ऑर्डर ने तस्वीर बदल दी। उन्हें नमामि गंगे प्रोजेक्ट के एक प्रोजेक्ट मैनेजर को किडनैप करने के मामले में सात साल की सजा सुनाई है। इसके बाद बसपा ने श्रीकला को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया था।

1 मई को धनंजय को जमानत मिल गई और जेल से बाहर आकर उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे। लेकिन, 6 मई को एक और ट्विस्ट आ गया जो नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी। इसी दिन बसपा ने श्रीकला की जगह वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाने का फैसला कर लिया। बसपा के इस रदम ने पूरा गणित बदल दिया। यादव कैंडिडेट उतार कर मायावती ने सपा के लिए संकट की स्थिति बना दी।

यादवों का प्रभुत्व, 4 जून को साफ होगी तस्वीर

जौनपुर यादवों के प्रभुत्व वाली सीट है। यह समुदाय पारंपरिक रूप से सपा का वोट बैंक है। 2019 के चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था और इस सीट से बसपा के श्याम सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने जीत भी हासिल की थी। इससे पहले हुए 2014 के चुनाव में इस सीट से भाजपा के कृष्ण प्रताप ने जीत हासिल की थी। अब देखना यह है कि बसपा का यह दांव कैसी तस्वीर बनाएगा और क्या सपा व भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी करेगा।