इजरायली सेना की लेडी ‘चीता’ सैनिक, हमास के आतंकियों का काल बनी यह खास यूनिट, गाजा में तैनाती

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(www.arya-tv.com) सात अक्‍टूबर को हमास के खतरनाक आतंकी हमले के बाद इजरायल ने संगठन के एक-एक आतंकी का सफाया करने की कसम खाई है। अब इजरायल ने अपनी प्रोफेशनल फीमेल सोल्‍जर्स की एक पूरी बटालियन को इस खास मिशन में लगा दिया है।

इजरायल ने गाजा में एक स्‍पेशल ऑपरेशन को पूरा करने की जिम्‍मेदारी अपनी सबसे खतरनाक, सबसे मजबूत और सबसे पेशेवर महिला लड़ाकों की एक बटालियन पर डाल दी है। इजरायल के हमास आतंकियों की तलाश अब आईडीएफ की बरदालास बटालियन कर रही है जिसे चीता बटालियन के तौर पर भी जानते हैं।

साल 2015 में हुई शुरुआत

इजरायल ने साल 2015 में बरदालास (चीता) बटालियन की शुरुआत की थी। इस बटालियन को सबसे पहले जॉर्डन से लगी सीमा पर तैनात किया गया था। यह इजरायल की तीसरी मिक्सिड सैनिकों वाली बटालियन है। बटालियन में आधे पुरुष और आधी महिलाएं शामिल हैं।

उन्होंने इजरायली मीडिया को बताया कि उन्हें चीता बटालियन नामक मिश्रित बटालियन के कमांडर से एक पूरी तरह से महिला टीम बनाने के निर्देश मिले थे। गाजा में तैनात खास महिला टीम की कमांडर 29 साल की मेजर शिरा ने गाजा

पट्टी में उनके कार्यों को एक और पुरानी परंपरा के टूटने के तौर पर करार दिया है। हालांकि मेजर शिरा उनके ऑपरेशन के बारे में ज्‍यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी विशेषज्ञ टीम लड़ाई जारी रखने और सैन्य खुफिया जानकारी में मदद कर रही है।

युद्ध ने बदला समाज का नजरिया

इजरायल ने पहले ही अपनी महिला सैनिकों को फ्रंटलाइन पर तैनात कर रखा है। आईडीएफ का कहना है कि उसके करीब 18 फीसदी सैनिक महिलाएं हैं। महिला सैनिक गाजा में सुरक्षा जांच कर रही हैं और संदिग्धों की विस्तृत जानकारी इकट्ठा कर रही हैं।

मेजर शिरा के अलावा 26 साल की कैप्‍टन पनीना भी इस टास्क फोर्स का एक अहम हिस्‍सा हैं। सेना में आने से पहले वह एक पुलिस ऑफिसर थीं। इन सैनिकों को मिस्र के बॉर्डर से गाजा में तैनाती के लिए बुलाया गया है। मेजर शिरा ने कहा कि इस युद्ध ने महिला सैनिकों के लिए उनके समाज के दृष्टिकोण को ही बदल कर रख दिया है।

धीरे-धीरे बदलीं स्थितियां

सन् 1948 से ही आईडीएफ में महिलाओं को कॉम्‍बेट रोल में आने की मंजूरी मिल गई थी। लेकिन आजादी के बाद बाद महिलाओं को ऐसे पदों पर रहने से प्रतिबंधित कर दिया गया। यह रुख सन् 1990 के दशक के अंत तक चला जब महिलाओं को इनफेंट्री यूनिट्स और आर्टिलरी कोर में शामिल होने की मंजूरी मिली थी।

सन् 2000 के दशक की शुरुआत से लेकर मध्य तक, उनके लिए और ज्‍यादा मौके आए। उन्‍हें आर्मी पुलिस, कॉम्‍बेट इंजीनियरिंग कोर और बाकी यूनिट्स में तैनाती मिलने लगी। लेकिन उन्हें फिर भी बहुत प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।