(www.arya-tv.com) एक-दूसरे को देखना नहीं चाहते, अलग होने की नौबत आ गई थी। फिर भी पति-पत्नी साथ रह रहे हैं। यूरोप के देशों में तलाक टल रहे हैं। वकील से लेकर कोर्ट की फीस तक महंगी हो गई है। बिजली का बिल, महीने का राशन, घरों का किराया इतना महंगा हो गया है कि वे दो घरों का खर्च नहीं उठा सकते। ऐसी हालत में अलग घर खरीदने के बारे में सोचना ही मुश्किल है।
बढ़ रहा है तलाक का खर्चा
लार्ज मॉर्टगेज डॉटकॉम के ब्रोकर मार्क पैटनशेट्टी ने कहा कि ब्रिटेन में ऐसे कपल की संख्या दोगुनी हो गई है, जो चाहकर भी अलग नहीं हो पा रहे। वे बताते हैं, जहां इसी साल जनवरी में ऐसे पति-पत्नियों की औसत संख्या 2 थी, अब हर महीने 5 से ज्यादा हो गई है।
मार्क ने आगे कहा कि इनमें उन दंपत्तियों की संख्या ज्यादा है, जो 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं। पहले ये आसानी से तलाक का खर्च उठा लेते थे और दोनों अपने लिए अलग घर लेने में सक्षम थे। अब मुश्किल हो रही है। इसलिए ऐसे जोड़े अब एक ही घर में अपनी अलग-अलग जिंदगियां जी रहे हैं।
तलाक की संख्या में आई गिरावट
ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस वक्त एक सामान्य घर की औसत कीमत ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा है। जबकि एक साल पहले यह 35 लाख रुपए के आसपास थी। जनवरी की तुलना में सितंबर के महीने में यहां घरों का किराया भी दोगुना हो गया है। बैंकों का ब्याज दर भी लगातार बढ़ रहा है। बढ़ती महंगाई देखते हुए बैंक भी अकेले घर लेने वालों को आसानी से लोन नहीं दे रहे।
मनी हेल्पर सर्विस के मुताबिक, ब्रिटेन में किसी तलाक पर इस वक्त औसत खर्च 13 लाख रुपए के आसपास है। करीब इतने ही एक साल के किराए के तौर पर खर्च होंगे, जब तक दोनों अपने लिए अलग-अलग घर न खरीद लें। ब्रिटेन में इस वक्त किराया उच्चतम दर पर है। इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे मिडिल क्लास फैमिली के लिए मुश्किल हो रही है।
तलाक को लेकर लोग हुए सचेत
फैमिली लॉ की वकील अमांडा मैक्लिस्टर कहती हैं, अब जोड़े तलाक को लेकर ज्यादा सचेत हो गए हैं। बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखकर योजना बना रहे हैं। बिजली के बढ़ते बिल ने भी दोनों के खर्च में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की है। वे कहती हैं ऐसे समय में जब महंगाई ने कमर तोड़ रखी है और दंपती इसके लिए चिंतित हैं तो वे तलाक की प्रक्रिया के दौरान शांति का माहौल बनाए रखें। इससे कोर्ट फीस नहीं देनी पड़ेगी और वकील की कम से कम सलाह की जरूरत पड़ेगी। इससे तलाक पर खर्च कम होगा।
1930 में भी तलाक के मामले कम हो गए थे
महंगाई की वजह से तलाक की दरों में आई कमी पहली बार नहीं है। 1929-30 के द ग्रेट डिप्रेशन के दौर में भी तलाक कम हो गए थे। 2 घर लेना और 2 अलग-अलग परिवार पालना मुश्किल हो रहा था। ऐसी हालत में पतियों ने घर छोड़ दिया। लेकिन परिवार को पालने की जिम्मेदारी अकेली महिला पर आ गई।