काशी के रत्नेश्वर मंदिर का गर्भगृह बंद:बाढ़ के जमाव से बचाने के लिए बना दी गई दीवार; 9 डिग्री झुका है यह मंदिर

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(www.arya-tv.com) वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध और रहस्मयी रत्नेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ गृह में अब नहीं जा सकेंगे। यह मंदिर अपने अक्ष से पीछे की ओर 9 डिग्री झुका हुआ है। जबकि, इटली का सुप्रसिद्ध पीसा की मीनार अपने अक्ष से 3.99 डिग्री झुकी है। वाराणसी के इस मंदिर के गर्भगृह के बाहर एक छोटी सी दीवार खड़ी कर दी गई है। बताया जा रहा है कि मंदिर के पुजारी दीपक ने बारिश के दौरान गर्भगृह को गाद और रेत जमने से बचाने के लिए किया है। जबकि स्थानीय लाेगों का कहना है कि मंदिर में पूजा-पाठ कैसे होगी।

साल भर के 8 महीने जल जमाव की वजह से मंदिर बंद रहता है। मंदिर सिंधिया घाट के नीचे स्थित है, इसलिए बाढ़ के समय पूरा मंदिर ही डूब जाता है। उस समय यहां कोई पूजा-पाठ नहीं होती। चौक क्षेत्र के सभासद संतोष शर्मा ने बताया कि बाढ़ की वजह से मिट्टी न जमे इसलिए हर साल बंद किया जाता है। क्याेंकि मंदिर में एक बार गाद भर जाता है तो उसे निकालने में काफी दिन लग जाते हैं। मलबा इतना मोटा होता है कि साफ-सफाई के दौरान गर्भगृह को काफी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने बताया कि मंदिर का ऊपरी हिस्सा बिजली गिरने से काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका है। संतोष शर्मा ने कहा कि प्रशासन ने दौरा किया है और इस मंदिर को कॉरिडोर का हिस्सा भी बनाया गया है।

एक स्थानीय युवक ने बताया कि मंदिर पर ध्यान न देने से लगता है कभी भी गिर सकता है। बारिश का पानी तो शिखर से भी गर्भगृह में जाता है। मंदिर को बंद कर देना इस समस्या का निवारण नहीं हो सकता। सावन का महीना चल रहा है और दूर-दराज से शिवभक्त और पर्यटक इस मंदिर को देखने आते हैं।

500 साल पुराना है इतिहास
रत्नेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। इस मंदिर में एक घंटा-घडियाल नहीं है, मगर इसके शिखर पर घंटा-घड़ियाल की कई आकृतियां बनी हुईं हैं। पिछले साल ट्विटर पर एक संस्था लॉस्ट टैंपल ने इसकी तस्वीर लगाकर पूछा था कि क्या बता सकते हैैं कि किस महान शहर में यह मंदिर स्थित है। जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया – यह काशी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर है, अपने पूर्ण सौंदर्य के साथ। इसके बाद इस मंदिर पर दुनियाभर में चर्चा होने लगी।

नागर शैली में बना है मंदिर
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कला-इतिहास विभाग के प्रोफेसर अतुल त्रिपाठी कहते हैं कि मंदिर नागर शैली में बना है। गुजरात के सोलंकी वंश द्वारा बनाए गए मंदिरों के जैसा ही लगता है। वहीं काशी खंड में भी वीरतीर्थ और वीरेश्वर दर्शन में सिंधिया घाट पर स्थित महादेव के मंदिर में पूजा का भी उल्लेख है।