ISRO के सोलर मिशन के मेंबर हैं खगोल वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक; सूरज की हवा का करेंगे परीक्षण

# ##

(www.arya-tv.com) भारत के पहले सोलर मिशन में IIT-BHU स्पेस वेदर, क्लाइमेट और वेदर प्रेडिक्शन की स्टडी करेगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) अगले महीने अपना सोलर मिशन आदित्य L-1 लाॅन्च कर रहा है। इस मिशन में IIT-BHU स्थित फिजिक्स डिपार्टमेंट के खगोल वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव स्पेस वेदर पर डिटेल स्टडी करेंगे। वे इस मिशन से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि सूर्य हमारा सबसे नजदीकी तारा है। यह पृथ्वी पर जीवन के लिए जिम्मेदार है। सूर्य से रेडिएशन के अलावा, चार्ज्ड पार्टिकल्स की धारा, सौर हवा, लगातार सूर्य से निकलती है। ये पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क करती है। बड़े पैमाने पर चुंबकीय विस्फोट होते हैं। जैसे कि कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। जो कि पृथ्वी की ओर मैग्नेटोस्फियर को बाधित करते हैं। ये खतरनाक अंतरिक्ष मौसम प्रभाव तैयार करते हैं। हीलियोस्फीयर के माध्यम से सौर हवा और कोरोनल मास इजेक्शन का काम अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आया है। इसी को लेकर आदित्य L-1 के सहयोग से स्टडी की जाएगी।

ISRO की रिकमंडेशन कमेटी के भी मेंबर

डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव आदित्य-L1 के स्पेस वेदर रिसर्च को रिकमंडेशन देने के लिए ISRO की राष्ट्रीय स्तर की अध्ययन समिति ’आदित्य L-1 अंतरिक्ष मौसम निगरानी और भविष्यवाणी योजना के मेंबर हैं। वे आदित्य L1 के UV टेलीस्कोप साइंस टीम (SUIT साइंस मैनेजमेंट पैनल) के भी सदस्य हैं। उनके अलावा उसी विभाग से फिजिक्स के डॉ. विद्या विनय कारक और डॉ. कुलदीप वर्मा भी आदित्य L1 के डेटा पर रिसर्च करेंगे।

होगी मल्टी-फ्रिक्वेंसी पर सोलर हवा के बनने की जांच

  • डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि आदित्य L-1 के प्राथमिक विज्ञान लक्ष्यों में से एक CME का निरीक्षण करना है।
  • साथ में मल्टी-फ्रिक्वेंसी पर सोलर हवा के बनने की भी जांच करना है।
  • आदित्य L-1 पर रिमोट-सेंसिंग और IN-SITU दोनों डिवाइस के साथ हम सूर्य से निकलने वाली खतरनाक हवाओं के जन्म और सुपरसोनिक स्पीड में इसके त्वरण, CME के विकास और स्पेस वेदर पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होंगे।
  • आदित्य L1 के द्वारा भारत सूर्य से निकलने वाले प्लाज्मा मोबिलिटी, विकिरण और एनर्जी वाले किरणों की स्टडी करेगा।
  • सितंबर के पहले सप्ताह में L-1 प्वाइंट पर आदित्य-एल1 लॉन्च करेगा, जो सूर्य-पृथ्वी रेखा पर 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां सूर्य और पृथ्वी का ग्रेवेटेशनल फोर्स संतुलित है। यह बिंदु हमें लगातार 24 घंटे सौर वातावरण की निगरानी करने में सुविधा प्रदान करता है।
  • आदित्य-L1, एल-1 प्वाइंट पर दूसरा सोलर स्पेस है। इससे पहले सोलर और हेलियोस्फेरिक वेधशाला (SOHO) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा एल-1 पर सैटेलाइट लॉन्च किया गया था।

क्या करेंगे आदित्य के 7 डिवाइस

आदित्य-L1 एक स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें 7 डिवाइस भारतीय हैं। इन्हें देश में ही बनाया गया है। सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप और विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ सूर्य के वातावरण में प्लाज्मा की उपस्थिति, मोबिलिटी और विस्फोटों की जांच करेंगे। दूसरे दोनों डिवाइस SOLEX और HELIOS एक्स-रे को कैप्चर करेंगे। सूर्य के धधकते क्षेत्रों से उत्पन्न विकिरण की भी एनालिसिस करेंगे। बाकी के 3 डिवाइस (ASPEX, PAPA और मैग्नेटोमीटर) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाले एनर्जी पॉर्टिकल्स और मैग्नेटिक एरिया का पता लगाने के लिए IN-SITU एनालिसिस करेंगे।