सर्प दंश की शिकार महिला को सौ सैय्या से जिला चिकित्सालय किया रैफर, मौत

Agra Zone UP
  • बडा सवालः सौ सैय्या से जिला चिकित्सालय कितना बेहतर है!
  • सौ सैय्या अस्पताल को मिला है इस साल का एक्सीलेंसी अवार्ड
  • सौ सैय्या की सुविधाओं को देखते हुए कोविड सेंटर भी बनाया गया

मथुरा। जिला चिकित्सालय मथुरा, वृंदावन स्थित सौ सौय्या अस्पताल कितना बेहतर है। क्या इतना बेहतर कि सौ सैय्या में हालत खराब होने पर मरीज को बेहतर इलाज के लिए जिला चिकित्सालय रैफर किया जा सके। जिला चिकित्सालय में इतना बेहतर इलाज है कि इस स्थिति में मरीज की जान बचाई जा सके।

सर्प दंश की शिकार हुई वृंदावन निवासी महिला के साथ यह सब हुआ और महिला की मौत हो गई। शनिवार को वृंदावन निवासी संध्या दीक्षित को घर में सर्प ने काट लिया था। परिजन महिला को वृंदावन के सौ सौय्या अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां महिला को भर्ती कर लिया गया, हालत बिगडने पर जिला चिकित्सालय मथुरा के लिए रैफर कर दिया। शाम को करीब 6 बजे परिजन महिला को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे और भर्ती करा दिया।

रात के करीब 9 बजे महिला की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि संध्या को आक्सीजन लगाने की जरूरत थी लेकिन जिला चिकित्सालय में यह सुविधा नहीं दी गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि खुद चिकित्सकों ने कहाकि संध्या को वैंटीलेटर पर ले जाने की जरूरत है लेकिन ऐसा किया नहीं गया। जिससे उसकी मौत हो गई। जिन लोगों ने अपने परिजन को खोया है वह यह सवाल पूछ रहे हैं कि सौ सैय्या अस्पताल से जिला चिकित्सालय रेफर करना जरूरी था, अथवा सौ सैय्या अस्पतालवालों ने अपने सिर से आफत टाली। जब आक्सीजन और वेंटीलेटर की सुविधा जिला चिकित्सालय में नहीं मिलनी थी तो कहीं और रेफर कर देते।

सौ सैय्या अस्पताल को मिला है इस साल का एक्सीलेंसी अवार्ड
सौ सैय्या अस्पताल को इस साल का एक्सीलेंसी अवार्ड मिला है। यह अवार्ड बेहतर सुविधाओं और इलाज की चिकित्सकीय विशेषताओं के लिए मिला है। सौ सैय्या अस्पताल की सुविधाओं को देखते हुए ही इसे कोविड सेंटर भी बनाया गया। बावजूद इसके सौ सैय्या में भर्ती हुई सर्प दंश की शिकार महिला को हालत बिगडने पर जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।

ये है जिला चिकत्सालय की हालत
-एक्सरे मशीन 35 साल पुरानी है, 20 साल पहले हो चुकी है एक्सपायर।
-एक्सरे और अल्ट्रा साउण्ड के लिए मरीजों को दी जाती है दो महीने आगे तक की तारीख
-एक्सरे और अल्ट्रा साउंड के लिए है सिर्फ एक आॅपरेटर
-प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर अधिकाश दवाएं ऑर्डर देने बावजूद उपलब्ध नहीं हो रही हैं।
-जिला चिकित्सालय में ठीक से कभी चालू नहीं रहा है ट्रोमा सेंटर
-काफी पुराना और बेहद छोटा है ऑपरेशन थियेटर, हर बार की जाती है अपग्रेड करने की बात
-ब्लड बैंक में ब्लड सेप्रेशन कक्ष में खराब रहती है मशीन
-एक्सरे और अल्ट्रा साउण्ड टेक्नीशियन के पद हैं खाली
-महिला जिला अस्पताल में रात के समय नहीं रहते चिकित्सक
-महिला चिकित्सालय में रात के समय अगर आपरेशन की जरूरत पड जाए तो कोई व्यवस्था नहीं है
-चिकित्सालय में लगे सीसीटीवी कैमरे लम्बे समय से खराब पडे हैं

देवीय आपदा में आती है सर्प दंश से मौत, प्रशासन से नहीं मिलती मदद
सर्प दंश से मौत देवीय आपदा में गिनी जाती है। इसके लिए देवीय आपदा कोष से मिलने वाली मदद सर्प दंश के शिकार हुए मृतकों के परिजनों को मिलनी चाहिए लेकिन मिलती नहीं हैं। सर्प दंश के शिकार अधिकांशतः ग्रामीण क्षेत्रों के लोग होते हैं। किसान हर साल सर्प दंश के शिकार बडी संख्या में होते हैं जिनमें से कई की मौत भी हो जाती है। लेकिन इन्हें जिला प्रशासन किसी तरह की मदद नहीं करता है।

“25 अगस्त को वृंदावन में किशोरी की हुई थी सर्प दंश से मौत 25 अगस्त को किशोरी को सांप ने काटा। परिजन उसका इलाज कराने के लिए दाऊजी और पानीगांव में लेकर आए थे, लेकिन किशोरी की मौत हो गई। पुलिस ने पंचनामा भर कर शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।”