अफगानिस्तान में चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं, विश्व बैंक से मिलने वाले फंड की कमी से लोग परेशान

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(www.arya-tv.com) जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली चरमराकर ढहने की कगार पर है। इससे लाखों लोगों की जान का संकट हो सकता है। साथ ही, मानवीय संकट गहरा सकता है। देश की मौजूदा स्वास्थ्य सेवाएं जैसे-तैसे अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं के दम पर चल रही हैं।

लेकिन जैसे ही तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया, विश्व बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने स्वास्थ्य सेवा सहायता के रूप में दिए जाने वाले 600 मिलियन डालर की सहायता रोक ली है। उनका मानना है कि वह एक ऐसे देश को यह सहायता राशि कैसे दें, जिसपर आतंकी संगठन तालिबान के लोग काबिज हैं। अमेरिका, रूस जैसे कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने तालिबान को प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है।

अगर जल्द ही विश्व बैंक की ओर से दी जाने वाली मदद बहाल नहीं की जाएगी, लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम करने से पीछे हट जाएंगे। अभी भी बहुत से स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सेवा को अंजाम दे रहे हैं। इनमें से कइयों को महीनों से वेतन तक नहीं मिला है।

अफगानिस्तान पहले से ही गरीबी के निचले पायदान पर है। अगर विश्व बैंक ने जल्द ही फंड जारी नहीं किया तो बहुत से स्वास्थ्य कर्मी नौकरी से निकाल दिए जाएंगे। यह लोग पहले ही निजी स्तर पर बहुत से खतरे उठाकर वहां काम कर रहे हैं। 34 में से 31 प्रांतों में बहुत से स्वास्थ्य सेवाएं चिकित्सकीय आपूर्ति नहीं होने की वजह से ठप पड़ गई हैं। फंड की कमी के कारण अगले साल तक महिलाओं और बच्चों की मौत में 33 फीसद तक इजाफा हो जाएगा।

ग्लोबल फंड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीटर सैंड्स ने कहा कि प्रतिवर्ष दो हजार से अधिक महिलाओं और 26 हजार से अधिक बच्चों की मौत होने की आशंका है। पूर्ववती अफगान सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा.वाहिद मजरूह ने कहा कि यह संकट बहुत बड़ा है।