वियतनाम के बाद पहली बार इजरायल ने मचाई सबसे बड़ी तबाही, गाजा में 2000 पाउंड के बमों की बारिश, 20 हजार मौतें

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(www.arya-tv.com) इजरायल की सेना की ओर से गाजा में की जा रही हवाई और जमीनी कार्रवाई ने हालिया दशकों में हुए युद्धों की तबाही को पीछे छोड़ दिया है। इजरायल ने जो बमबारी गाजा पर की है, वो इस लड़ाई को वियतनाम युद्ध के करीब ले जा रही है।

इजरायल ने गाजा पर 2,000 पाउंड के सैकड़ों बम गिराए हैं, जिसका इस पैमाने पर इस्तेमाल वियतनाम के बाद कभी भी नहीं देखा गया था। 50 साल के बाद दुनिया इस तरह से किसी जगह पर बमबारी देख रही है। वहीं मौतों के मामले में भी ये जंग भयावह साबित हुई है, इतनी संख्या में हाल के सालों में किसी लड़ाई में मौतें नहीं हुई हैं।

सीएनएन और आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस कंपनी सिंथेटिक से साथ मिलकर गाजा युद्ध पर एक रिपोर्ट तैयार की है। ये रिपोर्ट कहती है कि गाजा में युद्ध के पहले महीने में इजरायल ने सैकड़ों बड़े बम गिराए।

उनमें से कई 1,000 फीट से ज्यादा की दूरी तक लोगों को मारने में सक्षम थे। युद्ध के शुरुआती दिनों की सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि 40 फीट की माप वाले के 500 से अधिक गड्ढे हैं, जो 2,000 पाउंड के बमों की वजह से बने हैं। ये इराक के मोसुल में युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा आईएसआईएस पर गिराए गए सबसे बड़े बमों से चार गुना ज्यादा खतरनाक हैं।

अमेरिका ने आईएसआईएस के खिलाफ अपनी लड़ाई के दौरान केवल एक बार 2,000 पाउंड का बम गिराया। यह सीरिया में तथाकथित खलीफा की स्वघोषित राजधानी रक्का पर गिरा।

2,000 पाउंड के बम तबाही की वजह

हथियार और युद्ध विशेषज्ञ बढ़ती मौतों के लिए 2,000 पाउंड के बम जैसे भारी हथियारों के व्यापक उपयोग को जिम्मेदार मानते हैं। गाजा की बहुत घनी है, इसलिए इस तरह के भारी हथियारों के उपयोग का ज्यादा असर होता है।

डीसी-आधारित समूह CIVIC के कानूनी जानकार जॉन चैपल ने कहा कि गाजा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में 2,000 पाउंड के बमों के इस्तेमाल का मतलब है कि यहां के लोगों को इससे उबरने में दशकों लगेंगे।

गाजा में बड़े पैमाने पर हुई तबाही को लेकर इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने काफी दबाव बनाया है। यहां तक कि उसके कट्टर सहयोगी अमेरिकी के राष्ट्रपति बाइडेन ने भी अंधाधुंध बमबारी से बचने के लिए कहा।

इजरायली अधिकारियों ने तर्क दिया है कि हमास को खत्म करने के लिए उसके भारी हथियार आवश्यक हैं। हमास एक विशाल सुरंग नेटवर्क पर निर्भर है। गाजा में इजरायल का तर्क है कि भारी हथियार बंकर बस्टर के रूप में कार्य करते हैं, जिससे हमास के भूमिगत बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में मदद मिलती है।

बहुत कम होता है इन बमों का इस्तेमाल

इजरायल के दावों के उलट विशेषज्ञों का कहना है कि 2,000 पाउंड के बमों का इस्तेमाल आमतौर पर पश्चिमी सेनाओं द्वारा बहुत कम किया जाता है। वहीं गाजा जैसे घनी आबादी वाले इलाकों पर उनका ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून भी इस तरह की अंधाधुंध बमबारी पर रोक लगाता है। पूर्व अमेरिकी रक्षा खुफिया विश्लेषक और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व युद्ध अपराध जांचकर्ता मार्क गार्लास्को का कहना है कि गाजा में इजरायल के बमबारी के पहले महीने जिस तरह की बमबारी हुई, वो वियतनाम युद्ध के बाद कभी नहीं देखी गई थी।

गार्लास्को ने कहा, गाजा में बमबारी की तुलना करने के लिए आपको वियतनाम युद्ध पर वापस जाना होगा। यहां तक कि दोनों इराक युद्धों में भी यह इतने बड़े स्तर पर बमबारी नहीं हुई।

सीएनएन ने अमेरिकी एआई कंपनी सिंथेटिक ने गाजा पट्टी पर उपग्रह इमेजरी में गड्ढों, धुएं के गुबार और क्षतिग्रस्त इमारतों का पता लगाने के लिए रैपिड स्वचालित छवि वर्गीकरण (आरएआईसी) का उपयोग किया।

सैटेलाइट इमेजरी और वीडियो दिखाता है कि इजरायल के सैन्य ऑपरेशन ने घिरे हुए इलाके के कई हिस्सों में तबाही मचाई है। सेंटर फॉर नेवल एनालिसिस (सीएनए) के अनुसंधान निदेशक और पूर्व में लैरी लुईस ने कहा, दो महीनों में हमने गाजा के इस छोटे से क्षेत्र में हमलों का स्तर वैसा ही पाया जैसा हमने मोसुल और रक्का में देखा था।

करीब आधे बम बिना लक्ष्य के चलाए गए

सीएनएन के मुताबिक, पिछले हफ्ते उसे अमेरिकी खुफिया सूत्रों से पता चला है कि अब तक गाजा पर गिराए गए 29,000 हवा से सतह पर मार करने वाले हथियारों में से 40-45% मूक बम यानी बिना निर्देशित हथियार थे।

जो नागरिकों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं, खासकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में ये तबाही मचाते हैं। इनमें से कुछ क्रेटर की सैटेलाइट इमेजिंग में पाए गए 2,000 पाउंड के बम होने की संभावना है।

इजराइल के पास बड़े बमों का एक बड़ा जखीरा है, जिसे एमके-84 के नाम से जाना जाता है। अमेरिका ने भी 7 अक्टूबर के बाद इजरायल को 5,400 से अधिक एमके-84 दिए हैं।

सैटेलाइट इमेजरी के अनुसार, हमले के बाद छोड़े गए दो गड्ढे 79 फीट और 43 फीट चौड़े थे। सीएनएन ने एक वीडियो में ये भी पाया कि 2,000 पाउंड के हमले में कई इमारतें जमींदोज होती दिख रही हैं। जो इनकी भयावहता को दिखता है।