लखनऊ का युवक यूरोप के अल्बानिया में अरेस्ट:20 दिन पहले गया था

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) पापा, मुझे फंसाया गया है। ड्रग्स केस में मुझे अरेस्ट कर लिया है। यूएस ले जा रहे हैं…ये बातें एक बेटे ने पिता से फोन पर 22 अक्टूबर को कही। इसके बाद फोन कट गया। परिवार वाले संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं चल रहा है कि उनका इकलौता बेटा कहां और किस हाल में हैं।

दरअसल, लखनऊ के राजाजीपुरम का रहने वाला नितिन मिश्रा मेक-इन-इंडिया से इंस्पायर होकर 11 अक्टूबर को अल्बानिया गया था। इसके बाद वह अभी तक वापस नहीं लौटा। परिजनों के मुताबिक, नितिन को अल्बानिया में ड्रग्स केस में गिरफ्तार कर लिया गया है। परिवार वालों ने इंडियन और अल्बानिया एंबेसी से कॉन्टैक्ट किया, लेकिन अभी तक उनको किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है।

 ड्रग इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन(DEA) ने ​नितिन को हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया, लेकिन न तो एंबेसी को बताया और न ही अन्य संबंधित विभाग को।

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से मदद मिलेगी, तो इकलौता बेटा वापस आ पाएगा। नितिन की रिहाई के लिए ब्रिटेन के पूर्व मंत्री ने अल्बानिया के PM को पत्र लिखा है।

आइए अब मामले को नितिन की बहन की जुबानी समझते हैं…

बहन नैना ने बताया कि नितिन नेटवर्क मार्केटिंग में काम करता था। 2016 में मां को कैंसर होने के बाद से लखनऊ में रहने लगा। वह प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया के तहत कपड़ों का कारोबार करना चाहता था। इसके लिए विदेशों में लिंक तलाश रहा था। इसी दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से एक व्यक्ति से बातचीत हुई। उसी ने अल्बानिया आने के लिए कहा।

11 अक्टूबर को वह पहले मुंबई गया। वहां से दुबई और फिर अल्बानिया गया। 17 अक्टूबर को उसे वहां से निकलना था, लेकिन वह वापस नहीं लौटा। नंबर भी बंद आ रहा था। इसके बाद 22 अक्टूबर को उसका फोन आया। उसने बताया कि उसे फंसाया गया है। अल्बानिया में उसे ड्रग्स केस में गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके बाद उसका फोन कट हो गया। इंडियन और अल्बानिया एंबेसी में कई कॉल की, लेकिन उनको कुछ भी पता नहीं है।

नैना ने आगे बताया कि इससे पहले नेटवर्क मार्केटिंग के तहत नितिन मलेशिया और दुबई गया था। लेकिन, उसमें वह भी उसके साथ गई थी। कभी कोई ऐसा काम नहीं किया, ​जिससे वह कहीं फंसे। दोस्तों ने बताया कि नितिन हमेशा अपने काम पर ध्यान देता था। हर वक्त कपड़े के कारोबार की बात करता था। उस रिसर्च में दोस्त भी मदद कर रहे थे। हम लोगों को बचपन से सिखाया गया है कि सरकार हमारे लिए है। मैं चाहती हूं कि बचपन में जो सिखाया गया है, वो भरोसा सरकार न तोड़े। मेरे भाई को सही सलामत वापस लेकर आए।