(www.arya-tv.com) भारत की विदेश नीति को मुखरता और नया पैनापन देने वाले डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर आज यानी 10 जुलाई को गुजरात में हैं। यहीं से वो राज्यसभा सांसद के तौर पर अपनी दूसरी पारी का आगाज करने की तैयारी में हैं। गुजरात से राज्यसभा सांसद जयशंकर का कार्यकाल अगस्त महीने में खत्म हो रहा है और नई पारी के लिए सावन के पहले सोमवार यानी 10 जुलाई को ठीक 12 बजकर 39 मिनट के शुभ मुहूर्त पर वो नामांकन दाखिल करेंगे।
ये शुभ मुहूर्त जयशंकर के लिए विजयी मुहूर्त भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी जीत लगभग तय ही है। सूबे में मुख्य विरोधी पार्टी कांग्रेस है। कांग्रेस पहले ही राज्यसभा के चुनावों से खुद को दूर कर चुकी है। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष मनीष दोषी ने विधायकों की संख्या को टटोलते हुए 24 जुलाई को होने वाले चुनाव से पैर पीछे खींच लिए हैं। उनका कहना है कि पार्टी के पास चुनावों में जीत हासिल करने के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है, ऐसे में पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी।
यानी बात और जयशंकर का विजयी पथ बिल्कुल साफ है। कांग्रेस के इस वॉकओवर के बाद बीजेपी नामांकन को ही जयशंकर का विजयी जुलूस बनाने की कोशिश में है। नामांकन के लिए जाते वक्त जयशंकर के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्य बीजेपी प्रमुख सीआर पाटिल भी साथ रहेंगे। जयशंकर के अलावा गुजरात के दो और राज्यसभा सांसद रिटायर हो रहे हैं। लोखंडवाला जुगल सिंह और दिनेश जेमलभाई अनावडिया का कार्यकाल भी अगस्त में खत्म हो रहा है। इन दो सीटों पर भी बीजेपी की जीत तय है।
कांग्रेस के चुनावों से पैर पीछे खींचने के पीछे का पुख्ता कारण है गुजरात विधानसभा में पहाड़ सा दिख रहा बीजेपी का संख्या बल। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए विशाल जीत हासिल की थी। 182 विधायकों वाली विधानसभा में बीजेपी के 156 विधायक जीतकर पहुंचे। तीन निर्दलियों का समर्थन भी बीजेपी को मिला और ये आंकड़ा 159 का हो गया। वहीं विपक्षी दलों के विधायकों की कुल संख्या ही 23 है. इनमें से कांग्रेस के 17 विधायक हैं।
ये आंकड़े साफ-साफ बयां कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी बड़ा दिल दिखाते हुए चुनावों से पीछे नहीं हट रही है, बल्कि आंकड़ों का गणित उसे ऐसा करने पर मजबूर कर रहा है। कांग्रेस पार्टी सूबे के सभी विपक्षी दलों को एक कर के अपने पाले में कर लेती है, तब भी वो जीत तो दूर टक्कर दे पाने की स्थिति में भी नहीं पहुंच पाएगी। ऐसे में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लड़ने का न कोई मतलब होता और न ही कोई असर। वहीं बीजेपी के लिए ये चुनाव औपचारिकता मात्र हैं, क्योंकि संख्या बल के हिसाब से बीजेपी की जीत तय है।
जयशंकर पिछली बार भी गुजरात से बड़ी आसानी से राज्यसभा सांसद का चुनाव जीत गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में उन्हें विदेश मंत्री के तौर पर अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। इसके लिए उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया गया। मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और स्मृति ईरानी ने राज्यसभा सीट से इस्तीफा देते हुए लोकसभा चुनाव जीता था। ऐसे में राज्यसभा की जो सीट खाली हुई, उसपर जयशंकर को उतारा गया। तब इस सीट के लिए हुए मतदान के दौरान उन्हें 104 वोट मिले और पहली बार वो राज्यसभा सांसद बने। राज्यसभा सांसद के लिए वो दूसरी बार भी गुजरात की भूमि से ही मैदान में हैं।
24 जुलाई को देश की कुल 10 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें गुजरात की तीन, गोवा की एक और पश्चिम बंगाल की छह सीटें हैं। गोवा में बीजेपी सांसद विनय तेंदुलकर के रिटायर होने के कारण सीट खाली हो रही है। वहीं पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी के चार और कांग्रेस के एक सांसद का कार्यकाल खत्म होने के कारण चुनाव हो रहे हैं। वहीं एक सीट पर टीएमसी सांसद लुइजिन्हो फलेरियो के इस्तीफे के कारण खाली हुई है। इस सभी सीटों पर 24 जुलाई की शाम को नतीजे आ जाएंगे।