(www.arya-tv.com) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारी पेंशन योजना यानी ‘ईपीएस’ के तहत उच्च वेतन पर पेंशन के संबंध में वेतन विवरण आदि अपलोड करने के लिए नियोक्ताओं को तीन माह का समय दिया है। पहले वेतन विवरण जमा कराने की तिथि 30 सितंबर 2023 रखी गई थी। अब इस तिथि को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2023 कर दिया गया है। नियोक्ताओं और नियोक्ता संघों की तरफ से ईपीएफओ में कई प्रतिवेदन प्राप्त हुए थे।
29 सितंबर तक नियोक्ताओं के पास 5.52 लाख आवेदन लंबित थे। इनमें ज्यादा पेंशन लेने का विकल्प/संयुक्त विकल्प का सत्यापन किया जाना था। केंद्रीय न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष ने नियोक्ताओं के वेतन विवरण आदि जमा कराने के लिए किए गए अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया। नतीजा, अंतिम तिथि को इस साल के आखिरी तक बढ़ा दिया गया।
ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से आवेदन
ईपीएफओ द्वारा उच्च वेतन पर पेंशन के मकसद से विकल्प/संयुक्त विकल्प के सत्यापन के लिए आवेदन जमा कराने की सुविधा प्रदान की गई थी। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से आवेदन जमा कराना था। यह सुविधा, सुप्रीम कोर्ट के दिनांक चार नवंबर 2022 के आदेश के अनुपालन में पात्र पेंशनभोगियों/सदस्यों के लिए थी।
इस साल 26 फरवरी से इस सुविधा को शुरू किया गया था। पहले इसे तीन मई 2023 तक उपलब्ध रहना था। इसके बाद कर्मचारियों के प्रतिवेदन पर विचार करते हुए, पात्र पेंशनभोगियों/सदस्यों को आवेदन दाखिल करने के लिए पूरे चार महीने का समय प्रदान कर दिया गया। यानी समय सीमा को बढ़ाकर 26 जून 2023 कर दिया गया।
सत्यापन के लिए 17.49 लाख आवेदन प्राप्त हुए
इसके बाद दोबारा से पात्र पेंशनभोगियों/सदस्यों को होने वाली किसी भी कठिनाई को दूर करने के लिए 15 दिनों का अंतिम अवसर प्रदान किया गया। तदनुसार, कर्मचारियों द्वारा विकल्प/संयुक्त विकल्प के सत्यापन के लिए आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 11 जुलाई 2023 तक बढ़ा दी गई। 11 जुलाई 2023 तक, पात्र पेंशनभोगियों/सदस्यों से विकल्प/संयुक्त विकल्प के सत्यापन के लिए 17.49 लाख आवेदन प्राप्त हुए।
नियोक्ताओं और नियोक्ता संघों से प्राप्त प्रतिवेदनों के मद्देनजर, जिसमें आवेदक पेंशनभोगियों/सदस्यों के वेतन विवरण आदि अपलोड करने के लिए समय अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया गया। इसके अलावा नियोक्ताओं को वेतन विवरण इत्यादि 30 सितंबर 2023 तक ऑनलाइन जमा कराने के लिए तीन महीने की अतिरिक्त अवधि भी दी गई थी।
दोनों विकल्पों में से किसी एक को नहीं चुन सके
पेंशनभोगियों/सदस्यों को दो विकल्पों में से किसी एक का चयन करना होता है। पहले विकल्प में ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन करना है तो दूसरे में अधिकतम 15,000 रुपये पेंशन योग्य वेतन वाली व्यवस्था में ही बने रहना है। अगर कोई कर्मी रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी पेंशन योजना के तहत अधिक पेंशन चाहता हैं तो इसके लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास आवेदन करना होगा। वह आवेदन 3 मई, 2023 तक देना था।
इस बीच अनेक सदस्य ऊहापोह की स्थिति के चलते, दोनों विकल्पों में से किसी एक को नहीं चुन सके। कर्मचारी पेंशन योजना के अनुसार, कर्मचारी या सदस्य के नियोक्ता द्वारा ईपीएफ में किए गए अंशदान का एक निश्चित हिस्सा ईपीएस में जाता है। नियमों के मुताबिक कर्मचारी/सदस्य भी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी ईपीएफ में देते हैं। अगर डीए नहीं मिलता तो मूल वेतन का ही 12 फीसदी जमा हो जाता है। उतनी ही रकम यानी 12 फीसदी राशि, नियोक्ता भी कर्मचारी के ईपीएफ खाते में जमा कराता है।
संशोधन के बाद पेंशन योग्य वेतन की सीमा तय हुई
नियोक्ता के योगदान का जो हिस्सा ईपीएस में जाता है, वह मूल वेतन का 8.33 फीसदी या अधिकतम 1,250 रुपये होता है। इस तरह नियोक्ता प्रति महीने अधिकतम 15,000 रुपये वेतन (पेंशन योग्य वेतन की सीमा) का 8.33 फीसदी ही कर्मचारी के ईपीएस खाते में भेज सकता है। इस स्थिति में कर्मचारी का वेतन चाहे कितना भी क्यों न हो, मगर इतना हिस्सा ही ईपीएस में जाएगा।
22 अगस्त 2014 में हुए एक संशोधन के बाद पेंशन योग्य वेतन की सीमा 15,000 रुपये यानी मासिक 1,250 रुपये तय की गई। इससे पहले यानी 8 अक्तूबर 2001 से 31 अगस्त 2014 तक यह सीमा, वार्षिक 6,500 रुपये यानी 541 रुपये प्रति माह थी। 16 नवंबर 1995 से 7 अक्तूबर 2001 के बीच वार्षिक सीमा 5,000 रुपये, मतलब 417 रुपये मासिक थी।
16 मार्च 1996 से पहले यह बात स्पष्ट थी कि ईपीएस में योगदान और पेंशन की गणना अधिकतम पेंशन योग्य वेतन के हिसाब से होगी। 16 मार्च 1996 से ईपीएफओ के सदस्यों को पेंशन योग्य वेतन के अतिरिक्त वास्तविक वेतन पर ईपीएस में योगदान और पेंशन पाने का विकल्प भी दे दिया गया।
इसके लिए ईपीएस 1995 में पैराग्राफ 11 (3) जोड़ा गया। इसमें यह प्रावधान किया गया कि कोई भी कर्मचारी अपने नियोक्ता की सहमति से वास्तविक वेतन पर ईपीएस में अंशदान कर सकता है। भले ही वह राशि, पेंशन योग्य वेतन की सीमा से अधिक हो।
छह माह के भीतर आवेदन का मौका
इसके बाद एक सितंबर 2014 से लागू संशोधन में इस पैराग्राफ को हटा दिया गया। हालांकि उसमें भी उन ईपीएफओ सदस्यों को वास्तविक वेतन के हिसाब से अंशदान का विकल्प चुनने के लिए छह माह के भीतर आवेदन का मौका दिया गया। जानकारी और नियमों में स्पष्टता के अभाव के चलते अधिकांश पात्र ईपीएफओ सदस्य इस विकल्प का चयन नहीं कर पाए।
तभी केंद्र सरकार ने यह निर्देश दे दिया कि अगर कर्मचारी, अपने वास्तविक वेतन के हिसाब से ईपीएस में योगदान करते हैं, तो 15,000 रुपये पेंशन योग्य वेतन की सीमा के ऊपर ईपीएस में जो भी योगदान होगा, उस पर ईपीएफओ सदस्य को ईपीएस में 1.16 फीसदी की दर से अतिरिक्त योगदान करना होगा। इसके खिलाफ कर्मचारी, अदालतों में पहुंच गए।
जब उच्च न्यायालय का फैसला, कर्मियों के हित में आया तो ईपीएफओ ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 के निर्णय में ईपीएफओ को निर्देश दिया कि वह अपने सदस्यों को ज्यादा पेंशन यानी वास्तविक वेतन के हिसाब से ईपीएस में योगदान का विकल्प चुनने के लिए एक और मौका दे। उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2014 के उस संशोधन को अवैध करार दिया।
जिसके अनुसार ईपीएफओ सदस्यों को 15,000 रुपये के पेंशन योग्य वेतन के 8.33 फीसदी से ज्यादा अंशदान, पेंशन योजना में जमा करने पर 1.16 फीसदी का अतिरिक्त योगदान करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इसी दिशा-निर्देश के तहत ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने के लिए एक और मौका दिया है।
किन्हें मिला है आवेदन करने का अवसर
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, जो कर्मचारी 1 सितंबर 2014 से पहले ईपीएस के सदस्य थे और उसके बाद भी ईपीएस के सदस्य रहे हैं, वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसी तरह जो सदस्य 1 सितंबर 2014 से पहले 6,500 रुपये और 5,000 रुपये से ज्यादा के पेंशन योग्य वेतन पर ईपीएस में योगदान कर रहे थे, वे भी इसके लिए आवेदन के योग्य हैं।
उन लोगों को भी ज्यादा पेंशन पाने का आवेदन करने का मौका दिया गया, जो एक सितंबर 2014 से पहले रिटायर हो गए थे, लेकिन उन्होंने पैरा 11 (3) के तहत वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन के चुनाव के लिए ज्वाइंट विकल्प का इस्तेमाल किया था। ईपीएफओ ने ऐसे कर्मियों के आवेदन रिजेक्ट कर दिए थे।
यहां पर कहा गया है कि ऐसे सदस्य जो एक सितंबर 2014 से पहले रिटायर हो गए और जिन्होंने वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन के चुनाव के लिए संयुक्त विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया था, वे ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। 1 सितंबर 2014 के बाद ईपीएस के सदस्य बनने वाले भी ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन नहीं कर सकते।