खालिस्तानी, इंदिरा गांधी के हत्यारे का बेटा जीता…क्‍या पंजाब के नतीजे डराने वाले?

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में सबसे चौंकाने और डराने वाले नतीजे पंजाब के रहे। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने, एक शिअद उम्मीदवार ने, 3 आम आदमी पार्टी ने और 7 सीटें कांग्रेस ने जीतीं, लेकिन जिन निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव जीता, उन्होंने पूरे देश को चौंका दिया।

इन्हें देखकर पंजाब लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे डराने वाले लग रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों अगर पंजाब का प्रतिनिधित्व करेंगे, पावर में आएंगे तो पंजाब में दहशत का दौर फिर से लौट सकता है। जानना चाहेंगे कौन हैं वो उम्मीदवार और क्यों उनकी चर्चा हो रही, जानिए…

खालिस्तानी अमृतपाल सिंह निर्दलीय चुनाव जीता

खडूर साहिब लोकसभा सीट से खालिस्तानी अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव जीता। उसे 404430 वोट मिले और उसने कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को 197120 वोटों से हराया। कुलबीर को 207310 वोट मिले। अमृतपाल सिंह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है, क्योंकि उसके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हैं, लेकिन चर्चा है कि अमृतपाल जब डिब्रूगढ़ जेल गया था, जब पंजाब में अंदरखाते इसका विरोध हुआ था।

इस बीच अचानक अमृतपाल ने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उसने जेल से ही चुनाव नामांकन भरा और चुनाव प्रचार भी नहीं किया। फिर भी अब वह करीब 4 लाख वोट लेकर सांसद बन गया। खडूर साहिब लोकसभा सीट से एक खालिस्तानी की जीत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिखों में राजनीतिक दलों को लेकर काफी असंतोष है।

अमृतपाल हाल ही में पंजाब आया था, लेकिन पंजाब में नशे के खिलाफ मुहिम छेड़कर उसने प्रदेशवासियों के दिलों में उसने अपनी जगह बना ली। धर्म के प्रति अमृतपाल की कट्‌टर सोच ने भी उसकी खास पहचान बनाई। क्योंकि खडूर साहिब पंथक सीट है, इसलिए अमृतपाल की दोनों मुहिम का उसे काफी फायदा मिला।

इंदिरा गांधी के हत्यारे का बेटा सरबजीत सिंह खालसा

फरीदकोट लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सरबजीत सिंह खलासा ने लोकसभा चुनाव जीता है। सरबजीत सिंह खालसा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह का बेटा है। उसे 298062 वोट मिले और उसने आम आदमी पार्टी के करमजीत सिंह अनमोल को 70053 वोटों से हराया है। करमजीत सिंह को 228009 वोट मिले, लेकिन एक हत्यारे के बेटे की चुनावी जीत का कारण भाजपा और आम आदमी पार्टी के प्रति नाराजगी कही जा सकती है।

सरबजीत सिंह को करमजीत सिंह के अलावा हंसराज हंस ने भी टक्कर दी थी। करमजीत हारे, क्योंकि लोग आम आदमी पार्टी से नाराज हैं। हंसराज हंस हारे, क्योंकि उनसे किसान नाराज थे, क्योंकि हंसराज हंस ने विवादित बयान दिया था। किसानों पर जानलेवा हमला करने के आरोप लगाए थे। इस वजह से किसान भाजपा और उनसे नाराज थे। इसलिए लोगों ने निर्दलीय उम्मीदवार को अपना नेता चुन लिया।