बीजेपी की वजह से नहीं जीतेंगी मेनका गांधी? सुल्तानपुर सीट पर वरिष्ठ पत्रकार का बड़ा दावा

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सात चरणों में चुनाव संपन्न हो चुके है. वहीं अलग-अलग एग्जिट पोलों में बीजेपी को पूरे देश भर में बहुमत मिलते हुए दिख रही है और बीजेपी की सरकार बनते दिख रही है. वैसे आखिरी चुनाव परिणाम तो 4 जून को आने है.यूपी में कई हाई प्रोफाइल सीटें है जिन पर लोगों की नजरे टिकी हुई है. उसमें से सुल्तानुर लोकसभा सीट भी है. जहां से बीजेपी की उम्मीदवार मेनका गांधी थी. वहीं इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद और बसपा से उदय राज उम्मीदवार थे.

सुल्तनापुर सीट के क्या है सियासी समीकरण इसको जानने के लिए सुल्तानपुर के तीन वरिष्ठ पत्रकारों वीरेंद्र, प्रमोद गोस्वामी और अनुपम से बातचीत की. वहीं उन्होंने बताया कि सब कुछ ठीक ही चल रहा था. लेकिन आखिरी वक्त चंद्रभद्र सिंह के सपा में आ जाने से उन्होंने पूरा समीकरण ही बदल दिया. जिससे चुनाव टफ हो गया और दोनों तरफ से बराबर की लड़ाई हो गई थी. क्योंकि चंद्रभद्र सिंह का ठाकुरों पर बड़ा प्रभाव है, उनका सुल्तानपुर की जनता पर भी अच्छा प्रभाव है.

‘संजय गांधी भी इस सीट का कर चुकें हैं प्रतिनिधित्व’
उन्होंने कहा कि चंद्रभद्र सिंह के सपा में आने से सुल्तानपुर के समीकरण और जाति समीकरण बदल गए. लेकिन इसके बावजूद मेनका गांधी ने भी यहां काम किया है. इससे पहेल यहां वरुण गांधी जी ने भी काम किया है. उनके पति संजय गांधी जी ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकें है. वहीं इस क्षेत्र का गांधी परिवार ने काफी दिनों से प्रतिनिधित्व करते आ रहा है. लेकिन चंद्रभद्र सिंह के जाने से बदलाव तो हुआ है. कितना बदलाव हुआ है. इसका पता तो 4 जून को ही पता चलेगा. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इंडिया गठबंधन ने पीडीए की अवधारणा के आधार पर जिस तरह चुनाव लड़ा गया. उसका प्रभाव तो पड़ेगा ही.

‘मेनका गांधी ने यहां कई काम किए’
पत्रकार ने कहा कि एक समय लोगों में दौर चला था कि लोग बीजेपी में शामिल हो रहे थे. वहीं तीसरे चौथे चरण के बाद लोग इंडिया गठबंधन में शामिल होने लगे थे. जिसे देखकर ऐसा लगता है कि बदलाव तो होना तय है. सुल्तानपुर में दलितों की संख्या भी ठीक-ठाक है. मंहगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे ज्यादा प्रभावी नहीं है. मेनका जी यहां के लोगों के लिए बड़ा चेहरा है. यहां उन्होंने बहुत सारे काम किए है. इसका प्रभाव तो जनता जरूर पड़ेगा और वोट शिफ्ट जरूर होगा. वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी ने कहा कि मेनका गांधी की अगर जीत होती है तो वह उनके अपने दल-बल पर होगी. न कि बीजेपी के चलते.