डॉ.कीर्ति ने विकसित किया पौधों के DNA से तैयार बारकोड, सरकार ने नाम किया पेटेंट

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(www.arya-tv.com) कोरोना काल में आयुर्वेद के बढ़ते महत्व से औषधीय पौधों की मांग बढ़ी है। जड़ी-बूटी में मिलावट पकड़ने की अभी तक कोई वैज्ञानिक तकनीक नहीं थी, लेकिन अब पौधों के डीएनए (डीआक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) से तैयार बारकोड मिलावट पकड़ने में मदद करेगा।

यह तकनीक मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जनेकृविवि) के जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की सहायक प्राध्यापक डा. कीर्ति तंतवाय ने विकसित की है। उनके शोध को भारत सरकार से पेटेंट भी मिल गया है।

इस तकनीक से न केवल किसी भी पौधे की सटीक पहचान हो सकेगी, बल्कि एक सामान दिखने वाले पौधों के बीच खास पौधे की पहचान करना भी आसान हो जाएगा। जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के निदेशक डा. शरद तिवारी ने बताया कि पौधे के डीएनए से बारकोड तैयार करने का शोध साइप्रस्य (मोथा) के पौधे पर किया गया।

डा. कीर्ति तंतवाय और उनकी टीम ने देश के आठ राज्यों से इस पौधे की तकरीबन 50 प्रजातियों के नमूने एकत्र किए। इनमें से 10 प्रजातियों पर अध्ययन किया गया। फिर प्रयोगशाला में इन पौधों के डीएनए का पता लगाया गया। इसके बाद साफ्टवेयर की मदद से बारकोड तैयार किया गया। इस बारकोड में पौधे की विशेषताओं से जुड़ी लगभग हर जानकारी संग्रहीत की गई है।

मोथा का उपयोग फिलहाल चीन और जापान में बहुत ज्यादा हो रहा है। इसकी विभिन्न प्रजातियों का उपयोग अस्थमा, पेट की बीमारियों और जोड़ों के दर्द में किया जाता है।

बाजार में कई तरह की आयुर्वेदिक दवाएं आती हैं। कई इतनी महंगी होती हैं कि कुछ कंपनियां उसके घटकों (इनग्रेडिएंट्स) का उपयोग करने के बजाय उसकी समतुल्य औषधि का उपयोग करती हैं। इस तकनीक की मदद से न सिर्फ यह पता लगाया जा सकेगा कि जिस औषधीय घटक का दावा किसी दवा में किया जा रहा है, वह उसमें है या नहीं।