दीदी की दहाड़ गोरखपुर में दे रही सुनाई, गांव जाने की तैयारी करने लगे लोग, जाने क्या है मामला

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गोरखपुर। आठ चरणों में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों  की गूंज कई सौ किलोमीटर दूर गोरखपुर में भी सुनाई दे रही है.

यहां पर रहने वाले बंगाली समाज  के ड्रांइग रूम में चुनाव की चर्चा जोरों पर है. दीदी के जादू और योगी के विकास मॉडल पर भी चर्चा हो रही है. दरअसल, वर्षों से गोरखपुर में आकर बसे बंगाली समाज आज भी खुद को बंगाल से जोड़े हुए बंगाल. इस बार होने वाले चुनाव पर भी उसकी पैनी नजर है.

इतना ही नहीं बंगाल से काम करने आए लोग मतदान के लिए अपने गांव जाने की भी तैयारी कर रहे हैं. वैसे तो बंगालियों के बीच शतरंज और कैरम बोर्ड के खेल का प्रचलन खूब है.

और इन दोनों खेलों में रानी पर ही दांव लगा होता है. हर कोई रानी को हासिल करना चहता है और उसके लिए वो अपनी चाल चलता है. पश्चिम बंगाल के चुनाव में राजनीतिक पार्टियां सत्ता की चाभी पाने के लिए गोटियां बिछा चुकी है.

बीजेपी और टीएमसी के तरकस से प्रतिदिन नये तीर निकल रहे हैं. इन दांव पेंचों के बीच वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर गोरखपुर में रहने वाले बंगाली समाज के लोगों की भी नजर चुनाव पर है.

कुछ दावा कर रहे हैं कि बंगाल में दीदी के जादू पर योगी का विकास मॉडल भारी पड़ सकता है. अकिंजय लहड़ी कहते हैं कि भले ही वो लोग गोरखपुर के मतदाता हैं पर आज भी बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदार और जान पहचान वाले बंगाल में रहते हैं. इसलिए वहां का चुनाव कहीं न कहीं हमें प्रभावित करता है.

वहीं आनंद मुखर्जी भी दावा करते हैं कि हमारी रिश्तेदारियां वहां पर है और आना जाना लगा रहता है. योगी के विकास मॉडल की चर्चा भी होती रहती है.

गोरखपुर में मौजूदा समय में 25 हजार से अधिक बंगाली परिवार रहता है. जिसमे से अधिकतर गोरखपुर के ही मतदाता हो गये हैं, पर अभी भी करीब तीन हजार ऐसे लोग हैं जो बंगाल के मतदाता हैं. कुछ रेलवे में काम करते हैं तो कुछ अन्य जगहों पर. महिलाओं के बीच भी बंगाल के चुनाव की चर्चा होती है.

जब वो ड्राइंग रूम में बैठती हैं तो दीदी बनाम मोदी की चर्चा करती हैं. साथ ही महिला होने के नाते दीदी के साथ सिम्पैथी तो दिखती है, पर विकास के मामले में वो कुछ अलग ही सोचती हैं.

कुमकुम लहड़ी का कहना है कि पिछले चार सालों में गोरखपुर की तस्वीर बदली है. ये योगी मॉडल है, पर बंगाल में आज भी अकेली महिला रह सकती है, ये वहां का मॉडल है. तनुश्री और स्वाती कहती है कि महिला होने का कुछ लाभ दीदी को जरूर मिलेगा, पर वहां पर भी विकास पर ही वोट डाले जायेंगे।