एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत दर्ज कर ली है, यानि अब वो देश के अगले उपराष्ट्रपति बन गए हैं. उनकी जीत को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी. पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सीपी राधाकृष्णन से कहा, ‘आपका इस प्रतिष्ठित पद पर आसीन होना हमारे राष्ट्र के प्रतिनिधियों के विश्वास और भरोसे को दर्शाता है.’
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन को बधाई देते हुए एक बयान जारी किया है. उन्होंने लिखा, ‘सीपी राधाकृष्णन को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई. भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और मानवता का छठा भाग अपने में समेटे हुए है, उस देश के एक अत्यंत प्रतिष्ठित पद पर आपका चयन अत्यंत गौरवपूर्ण है.’
प्रतिनिधियों की ओर से विश्वास और भरोसे का प्रतीक
धनखड़ ने आगे लिखा, ‘आपका इस गरिमामयी पद पर आसीन होना हमारे राष्ट्र के प्रतिनिधियों की ओर से व्यक्त किए गए विश्वास और भरोसे का प्रतीक है. सार्वजनिक जीवन में आपके व्यापक अनुभव को देखते हुए, आपके मार्गदर्शन में यह पद निश्चित ही और अधिक प्रतिष्ठा और गौरव प्राप्त करेगा.
सीपी राधाकृष्णन को बधाई देते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैं आपके सफल कार्यकाल और हमारे महान राष्ट्र की सेवा हेतु अपनी शुभकामनाएं देता हूं.’ बता दें कि स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा देने के बाद धनखड़ का यह पहला सार्वजनिक संदेश है.
देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी दी बधाई
बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी नए उपराष्ट्रपति को बधाई दी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ लिखा, ‘सी.पी. राधाकृष्णन को भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई. सार्वजनिक जीवन में आपके दशकों के समृद्ध अनुभव राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे. मैं आपको एक सफल और प्रभावशाली कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देती हूं.’
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘थिरु सी.पी. राधाकृष्णन को 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विजयी होने पर बधाई. उनका जीवन सदैव समाज सेवा और गरीबों व वंचितों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है. मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति होंगे, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करेंगे और संसदीय संवाद को आगे बढ़ाएंगे.’